मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक साल पहले पदभार संभालने के समय सभी को साथ साथ लेकर चलने और बातचीत के जरिये समस्याओं के हल का वादा किया था. पिछले एक साल पर निगाह डालने से दिखता है कि वह उस पर कायम रहे. उनकी अगुवाई में आरबीआई ने एक तरफ जहां आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये अबतक पांच बार नीतिगत दर में कटौती की वहीं कर्ज के ब्याज को रेपो से बाह्य दरों से जोड़े जाने जैसे सुधारों को भी आगे बढ़ाया है.
प्रशासनिक अधिकारी से केंद्रीय बैंक के मुखिया बने दास ने 12 दिसंबर 2018 को कार्यभार संभाला. आरबीआई की स्वायत्तता पर बहस के बीच गवर्नर डॉ उर्जित पटेल के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद इस पर पर दास को लाया गया.
उर्जित पटेल ने हालांकि व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दिया था लेकिन विशेषज्ञों का कहना था कि आरबीआई की स्वायत्तता और अतिरिक्त नकदी सरकार को हस्तांतरित करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय के साथ कथित मतभेद के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया था.
सरकार को रिजर्व बैंक के पास पड़ी अतिरिक्त नकदी के हस्तांतरण का ऐतिहासिक फैसला, संकट में फंसे कुछ सरकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी से बाहर करना और जून में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति को लेकर नए नियम लाना , दास के कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं. फरवरी 2019 के बाद से दास की अगुवाई में आरबीआई ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये रेपो दर में इस साल अबतक कुल पांच बार में 1.35 प्रतिशत अंक की कटौती की है.
इसमें अगस्त महीने में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.35 प्रतिशत की कटौती शामिल है. इस कटौती के बाद रेपो दर नौ साल के न्यूनतम स्तर 5.15 प्रतिशत पर पहुंच गया. हालांकि इन सबके बावजूद केंद्रीय बैंक ने वृद्धि अनुमान में उल्लेखनीय रूप से 2.40 प्रतिशत की कमी की है.
इस महीने की शुरूआत में केंद्रीय बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को यथावत रख निवेशकों और बाजार को झटका दिया. आरबीआई के केंद्रीय बैंक के सदस्य सचिन चतुर्वेदी ने दास को ऐसा शख्स बताया जिसने व्यवहारिकता, प्रतिबद्धता और पारदर्शिता लायी.
उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, "गवर्नर कई तरीके से सरकार और अन्य पक्षों को साथ लाने और निदेशक मंडल को समन्वय वाला मंच बनाने में सफल रहे."
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चतुर्वेदी के अनुसार छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठकों में दास ने यह सुनिश्चित किया कि निदेशक मंडल के सभी सदस्य अपनी बातें रखें और उसके बाद उनप मुद्दों पर चर्चा करायी. तमिलनाडु कैडर के 1980 बैच के आईएएस अधिकारी दास आरबीआई में आने से पहले आर्थिक मामलों के सचिव रहे.
इससे पहले, उन्होंने कई पदों पर कार्य किये. पहले दिन से ही उन्होंने सभी पक्षों के साथ तालमेल सुनिश्चित किया. चाहे वह बैंक हो या एनबीएफसी, एमएसइर्म, उद्योग मंडल या फिर साख निर्धारण एजेंसियां, उन्होंने सभी को साथ लेते हुए आरबीआई के विचारों को लेकर सहमति बनाने का प्रयास किया. पटेल के कार्यकाल में इन चीजों का अभाव था. सोशल मीडिया पर सक्रिय दास संबद्ध पक्षों की आशंकाओं को दूर करने के लिये काम करते रहे हैं.