वॉशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि किसी एक मामले में अनिश्चितता से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की दक्षता और क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. सीतारमण से एक हालिया मामले के बारे में पूछा गया था जिसमें आईबीसी को लेकर कुछ खामियां उभरकर सामने आई थीं.
उनकी यह टिप्पणी पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक में 4,355 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद आई है. यह ऋण घोटाला तब सामने आया जबकि रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कुछ अनियमितताएं पकड़ी और बैंक पर अंकुश लगाए.
सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मुझे नहीं लगता कि हमें एक मामले को बढ़ाचढ़ाकर दिखाते हुए पूरे आईबीसी पर सवाल उठाना चाहिए."
हालिया मामले पर टिप्पणी करते हुए सीतारमण ने कहा कि यदि प्रवर्तन निदेशालय किसी की संपत्ति कुर्क करता है और इससे आईबीसी प्रक्रिया में कुछ अनिश्चितता बनती है तो यह समूची आईबीसी पर निष्कर्ष नहीं हो सकता. सीतारमण ने कहा कि जब कोई कंपनी समाधान के लिए आती है तो जरूरी नहीं कि सभी में ऐसा ही हो. मुझे नहीं लगता कि हमें इस मामले को इस तरीके से देखना चाहिए.
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दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) 2016 भारत का दिवाला कानून है. इसमें दिवाला एवं ऋणशोधन के लिए मौजूदा ढांचे को एकीकृत किया गया है. इस संहिता का मकसद छोटे निवेशकों के हितों का संरक्षण और कारोबार की जटिलता को कम करना है. वित्त मंत्री यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की बैठक में भाग लेने आई हैं.