नई दिल्ली : नीति आयोग ने विनिवेश संबंधी सचिवों की कोर समिति को उन सरकारी बैंकों और बीमाकर्ता के नाम सौंप दिए हैं, जिनका विनिवेश प्रक्रिया के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाना है. इनमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) और एक सार्वजनिक क्षेत्र के सामान्य बीमाकर्ता का नाम शामिल है.
सूत्रों ने कहा कि निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) और वित्तीय सेवा विभाग (DFS) नीति आयोग द्वारा सुझाए गए नामों की जांच करेंगे और इस साल निजीकरण के लिए वित्तीय क्षेत्र में संभावित उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देंगे.
क्षेत्र से जुड़े जानकार लोगों ने यह भी कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और सेंट्रल बैंक (Central Bank) शीर्ष दो उम्मीदवार हैं, जिनका नाम निजीकरण की प्रक्रिया के लिए शामिल किया गया है. हालांकि इंडियन ओवरसीज बैंक का नाम भी इस साल या संभवत: बाद में इस सूची में आ सकता है.
सूत्रों के अनुसार, इसके अलावा युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस (United India Insurance) को इसके सापेक्ष बेहतर सॉल्वेंसी अनुपात को देखते हुए तीन सामान्य बीमाकर्ताओं में से निजीकरण के लिए उम्मीदवार के तौर पर चुना जा सकता है.
हालांकि, वित्तीय क्षेत्र के विशेषज्ञों का यह भी तर्क है कि ओरिएंटल इंश्योरेंस, तीनों में सबसे कम सॉल्वेंसी अनुपात के साथ, अनुकूल हो सकता है, क्योंकि इसका विदेशी परिचालन नहीं है और निजी निवेशक को आमंत्रित करना इसके लिए आसान हो सकता है.
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सरकार ने पहले संकेत दिया था कि त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) ढांचे के तहत बैंकों या कमजोर बैंकों को निजीकरण से बाहर रखा जाएगा, क्योंकि उनके लिए खरीदार ढूंढना मुश्किल होगा. इससे तीन पीएसबी - इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक और यूको बैंक सरकार की विनिवेश योजना से बाहर हो जाते.
लेकिन उन्हें पीसीए से बाहर लाया जा सकता है, क्योंकि पिछली 3-4 तिमाहियों में कुछ प्रमुख मापदंडों जैसे कि लाभप्रदता और परिसंपत्ति गुणवत्ता (शुद्ध एनपीए के संदर्भ में उन्होंने प्रावधान बढ़ाया है) में सुधार के स्पष्ट संकेत हैं. इससे उन्हें निजीकरण के लिए विचार करने की अनुमति मिल सकती है.
इसके अलावा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सेंट्रल बैंक दोनों पश्चिम केंद्रित बैंक हैं, जहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की उपस्थिति पहले से ही मजबूत है, जिससे निजी क्षेत्र में अधिक प्रवेश की अनुमति मिलती है.
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