नई दिल्ली: रिजर्व बैंक अब ऋण शोधन एवं दिवाला कानून के तहत कम-से-कम 500 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के समाधान के लिये कह सकता है. इस कदम से एनबीएफसी क्षेत्र में समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय बैंक के साथ चर्चा के बाद कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सोमवार को अधिसूचना जारी की.
इसमें वित्तीय सेवा प्रदाताओं की श्रेणी को स्पष्ट किया गया है जो ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत समान व्यवस्था के अंतर्गत समाधान के लिये जा सकते हैं.
मंत्रालय ने शुक्रवार को बैंकों को छोड़कर वित्तीय सेवा प्रदाताओं (एफएसपी) की समस्याओं से संहिता के निपटने की रूपरेखा को अधिसूचित किया.
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इसके अंतर्गत क्षेत्रीय नियामक दबाव वाली इकाइयों के समाधान की मांग कर सकते हैं. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी संकट के बीच सामान्य व्यवस्था लायी गयी है.
मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, "500 करोड़ रुपये या उससे अधिक की संपत्ति वाली आवास वित्त कंपनियों समेत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आईबीसी के तहत ऋण शोधन समाधान और परिसमापन कार्यवाही के लिये लिया जा सकता है."
संहिता की धारा 227 केंद्र सरकार को वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के साथ विचार-विमर्श के साथ एफएसपी को ऋण शोधन एवं परिसमापन कार्यवाही के लिये अधिसूचित करने का अधिकार देती है. उचित नियामक के केवल एक आवेदन से एफएसपी के लिये ऋण शोधन प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.