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कोरोना के कारण प्राथमिक शिक्षा के अभाव में रहेंगे 63 फीसदी छात्र: विश्व बैंक की रिपोर्ट

महामारी वैश्विक तौर पहले से ही मौजूद शिक्षा के संकट को बढ़ा रही है. यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्राथमिक स्कूल तक के 63 फीसदी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर सकता है. पहले से ही यह 53 फीसदी है.

विश्व बैंक ने रिपोर्ट में चेताया, कोरोना के कारण प्राथमिक शिक्षा से वंचित रह जाएंगे छात्र
विश्व बैंक ने रिपोर्ट में चेताया, कोरोना के कारण प्राथमिक शिक्षा से वंचित रह जाएंगे छात्र

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Published : Dec 5, 2020, 5:00 PM IST

वॉशिंगटन:वैश्विक महामारी कोरोना न केवल एक स्वास्थ्य संबंधी आपदा है, बल्कि इसका प्रभाव कई आयामों पर हो रहा है. विश्व बैंक की दो नई रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण प्राथमिक स्कूल तक के तकरीबन 72 मिलियन अतिरिक्त बच्चे शिक्षा के अभाव में चले जाएंगे.

विश्व बैंक की, "रियलाइजिंग दी फ्यूचर ऑफ लर्निंग: फ्रॉम लर्निंग पॉवर्टी टू लर्निंग फॉर एवरीवन, एवरीवेयर" नाम की रिपोर्ट में एक नई दृष्टि की रूपरेखा दी गई है, जिसे आज राष्ट्रों को शिक्षा में निवेश और नीतियों के लिए अपनाना चाहिए. इसमें शिक्षा प्रौद्योगिकी भी शामिल है.

देखिए रिपोर्ट.

महामारी वैश्विक तौर पहले से ही मौजूद शिक्षा के संकट को बढ़ा रही है. यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्राथमिक स्कूल तक के 63 फीसदी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर सकता है. पहले से ही यह 53 फीसदी है. इसका प्रभाव छात्रों की इस पीढ़ी के भविष्य की कमाई पर पड़ेगा, जिसे 10 ट्रिलियन डॉलर के बराबर अनुमान लगाया जा रहा है, जो वैश्विक जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है.

रिपोर्ट में शिक्षा के भविष्य का अनुमान

रिपोर्ट शिक्षा के अभाव से निकलकर देशों को सबके लिए, सभी जगह शिक्षा का विजन देती है. यह देशों को अपने निवेश और नीतिगत सुधारों में मार्गदर्शन प्रदान करता है, ताकि वे अधिक न्यायसंगत, प्रभावी तंत्र का निर्माण कर सकें, जहां लचीली शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करे कि सभी स्कूलों और उसके बाहर भी बच्चे सहजता से शिक्षा प्राप्त कर सकें.

रिपोर्ट में शिक्षा के नए रूप को प्रस्तुत किया

विश्व बैंक के प्रौद्योगिकी और नवाचार ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी निवेश का एक नया मार्ग प्रस्तुत करता है ताकि प्रौद्योगिकी वास्तव में कोविड-19 जैसे विनाशकारी झटकों के लिए शिक्षा प्रणालियों को और अधिक लचीला बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में काम कर सके और शिक्षा देने के तरीकों को नया रूप दे सके.

वर्ल्ड बैंक के वाइस प्रेसिडेंट, ह्यूमन डेवलपमेंट ममता मूर्ति ने कहा, "बिना जरूरी कार्रवाई के, छात्रों की यह पीढ़ी कभी भी अपनी पूरी शैक्षणिक क्षमता और कमाई की क्षमता हासिल नहीं कर सकती है, और देश दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए आवश्यक मानव पूंजी खो देंगे."

दुनिया भर में आधे से अधिक बच्चे गरीबी के कारण क्षिक्षा से वंचित रह सकते हैं, इसलिए हम हमेशा से चली आ रही व्यवस्था जारी नहीं रख सकते.

कोरोना वायरस ने दो बड़े झटके दिए. अप्रैल 2020 में स्कूल बंद होने के बाद से 1.6 बिलियन छात्र स्कूल से वंचित रह गए. आज भी तकरीबन 700 मिलियन छात्र स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.

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महामारी के परिवारों पर पड़े आर्थिक प्रभावों से छात्रों के स्कूल छोड़ने की संभावना बढ़ गई है. सीमांत समूहों पर भी इसका प्रभाव होने की संभावना है.

महामारी के दौरान लड़कियों के किशोर गर्भावस्था और जल्दी विवाह का खतरा बढ़ जाता है. विकलांग बच्चों, जातीय अल्पसंख्यकों, शरणार्थियों और विस्थापित आबादी के लिए उपयुक्त दूरस्थ शिक्षा सामग्री का उपयोग करने और स्कूल के बाद के संकट में लौटने की भी संभावना कम है.

रिपोर्ट में कहा गया कि अधिक से अधिक बच्चों और युवाओं तक पहुंचने के लिए, मल्टी-मोडल दूरस्थ शिक्षा दृष्टिकोण का उपयोग किया जा सकता है, जो कि रेडियो, टीवी, मोबाइल और प्रिंटेड सामग्री के साथ ऑनलाइन संसाधनों को जोड़ती है.

हालांकि, कनेक्टिविटी से डिजिटल कौशल तक सामाजिक तौर पर फैला विशाल डिजिटल विभाजन, माता-पिता के समर्थन और घर पर सीखने के वातावरण के कारण असमानता बढ़ रही है.

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