वॉशिंगटन:वैश्विक महामारी कोरोना न केवल एक स्वास्थ्य संबंधी आपदा है, बल्कि इसका प्रभाव कई आयामों पर हो रहा है. विश्व बैंक की दो नई रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण प्राथमिक स्कूल तक के तकरीबन 72 मिलियन अतिरिक्त बच्चे शिक्षा के अभाव में चले जाएंगे.
विश्व बैंक की, "रियलाइजिंग दी फ्यूचर ऑफ लर्निंग: फ्रॉम लर्निंग पॉवर्टी टू लर्निंग फॉर एवरीवन, एवरीवेयर" नाम की रिपोर्ट में एक नई दृष्टि की रूपरेखा दी गई है, जिसे आज राष्ट्रों को शिक्षा में निवेश और नीतियों के लिए अपनाना चाहिए. इसमें शिक्षा प्रौद्योगिकी भी शामिल है.
महामारी वैश्विक तौर पहले से ही मौजूद शिक्षा के संकट को बढ़ा रही है. यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्राथमिक स्कूल तक के 63 फीसदी बच्चों को शिक्षा से वंचित कर सकता है. पहले से ही यह 53 फीसदी है. इसका प्रभाव छात्रों की इस पीढ़ी के भविष्य की कमाई पर पड़ेगा, जिसे 10 ट्रिलियन डॉलर के बराबर अनुमान लगाया जा रहा है, जो वैश्विक जीडीपी के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है.
रिपोर्ट में शिक्षा के भविष्य का अनुमान
रिपोर्ट शिक्षा के अभाव से निकलकर देशों को सबके लिए, सभी जगह शिक्षा का विजन देती है. यह देशों को अपने निवेश और नीतिगत सुधारों में मार्गदर्शन प्रदान करता है, ताकि वे अधिक न्यायसंगत, प्रभावी तंत्र का निर्माण कर सकें, जहां लचीली शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करे कि सभी स्कूलों और उसके बाहर भी बच्चे सहजता से शिक्षा प्राप्त कर सकें.
रिपोर्ट में शिक्षा के नए रूप को प्रस्तुत किया
विश्व बैंक के प्रौद्योगिकी और नवाचार ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी निवेश का एक नया मार्ग प्रस्तुत करता है ताकि प्रौद्योगिकी वास्तव में कोविड-19 जैसे विनाशकारी झटकों के लिए शिक्षा प्रणालियों को और अधिक लचीला बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में काम कर सके और शिक्षा देने के तरीकों को नया रूप दे सके.