गोवा में खनन गतिविधियां ठप, कर्मचारियों को वीआरएस ऑफर कर रही हैं कंपनियां
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मार्च 2018 से गोवा में खनन का कामकाज बंद पड़ा है. न्यायालय ने अपने आदेश में 88 खानों के पट्टों को रद्द कर दिया था.
पणजी: गोवा में मार्च 2018 में खनन गतिविधियां ठप पड़ने के बाद कंपनियों पर भारी दबाव है और वे कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) समेत विभिन्न वित्तीय विकल्पों की पेशकश कर रही हैं. उद्योग निकाय गोवा खनिज अयस्क निर्यातक संघ (जीएमओईए) ने यह बात कही.
जीएमओईए के अध्यक्ष अंबर टिंबलो ने संवाददाताओं को बताया, "साल 2012 से 2015 के बीच ज्यादातर कंपनियों ने छंटनी नहीं की है. मेरा कहने का मतलब है कि नाममात्र की छंटनी हुई है. पिछले साल से रोज कंपनियों पर बोझ पड़ रहा है. खनन कंपनियां अपने कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) या हिसाब - किताब (निपटान) करने का वित्तीय विकल्प दे रही हैं."
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उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मार्च 2018 से गोवा में खनन का कामकाज बंद पड़ा है. न्यायालय ने अपने आदेश में 88 खानों के पट्टों को रद्द कर दिया था. टिंबलो ने एक सवाल के जवाब में कहा कि छंटनी की सूरत में खनन कंपनियों के प्रत्यक्ष या नियमित कर्मचारियों की छंटनी सबसे आखिरी में होगी.
उन्होंने कहा कि वेदांता जैसी बड़ी खनन कंपनियां सबसे अंत में छंटनी का कदम उठाएंगी. टिंबलो ने कहा कि छंटनी की स्थिति में सबसे पहले बाहर से यहां काम करने आने वाले श्रमिक प्रभावित होंगे. खनन उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि वेदांता ने गोवा में लौह अयस्क कारोबार में लगे अपने कर्मचारियों के एक समूह को काम नहीं होने की सूरत में घर बैठने के लिए कहा है.
सूत्रों ने कहा, "हमारे पास लौह अयस्क कारोबार में लगे प्रत्यक्ष कर्मचारियों की संख्या करीब 1,500 है. इनमें से बड़ी संख्या में लोग घर पर बैठे हुए हैं." इससे पहले, गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) ने कहा था कि खनन बंद होने से तीन लाख से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी या तो छिन गई है या फिर रुक गई है.