नई दिल्ली:वाणिज्यिक बैंकों के नए परिवर्तनीय दर वाले ऋणों को अनिवार्य रूप से बाहरी मानकों पर आधारित करने के भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश से बैंकों की वित्तीय चुनौतियां बढेंगी. मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने यह राय जताई है.
बैंकों को एक अक्टूबर से अपने फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को बाहरी बेंचमार्क से अनिवार्य रूप से जोड़ना है. पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक ने कहा था कि बैंक नीतिगत दरों में कटौती का लाभ संतोषजनक तरीके से उपभोक्ताओं को स्थानांतरित नहीं कर रहे हैं.
केंद्रीय बैंक ने बैंकों से अनिवार्य रूप से अपने सभी व्यक्तिगत और खुदरा ऋणों तथा सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले फ्लोटिंग दर वाले कर्जों को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने को कहा था.