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जानिए क्या है म्युनिसिपल बॉन्ड का इतिहास

बॉन्ड के जरिए पैसा जुटाने वाला लखनऊ पहला नगर निगम नहीं है. इसके पहले भी देश के कई नगर निगम समय-समय पर अपने बॉन्डों को सूचीबद्ध करते रहे हैं. म्युनिसिपल बॉन्ड की शुरुआत 1998 में अहमदाबाद से हुई थी.

लखनऊ म्युनिसिपल बॉन्ड हुआ बीएसई में सूचीबद्ध, जानिए क्या है म्युनिसिपल बॉन्ड का इतिहास
लखनऊ म्युनिसिपल बॉन्ड हुआ बीएसई में सूचीबद्ध, जानिए क्या है म्युनिसिपल बॉन्ड का इतिहास

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Published : Dec 2, 2020, 5:46 PM IST

मुबंई:उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर निगम के 200 करोड़ रुपये के म्युनिसिपल बॉन्ड की बुधवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में लिस्टिंग हो गई. इसमें 10 साल की अवधि के लिये 8.5 प्रतिशत की अत्यंत आकर्षक कूपन दर प्राप्त हुई.

यह किसी नगर निकाय द्वारा जारी नगर निगम बॉन्ड की दूसरी सबसे कम दर रही है. बॉन्ड के लिये निवेशकों से तय मात्रा के मुकाबले साढ़े चार गुना अधिक अभिदान प्राप्त हुये.

यूपी के इन शहरों के नगर निगम भी जारी करेंगे बॉन्ड

गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थानीय निकाय होगा, जो म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी कर पैसा जुटाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अन्य शहर मसलन गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी भी इस मार्ग से संसाधन जुटाएंगे.

आदित्यनाथ ने कहा, "मुझे विश्वास है कि जल्द हम यहां गाजियाबाद नगर निगम का बॉन्ड सूचीबद्ध होने के अवसर के लिए उपस्थित होंगे."

एशिया के सबसे पुराने शेयर बाजार बीएसई में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि बॉन्ड निर्गम के जरिये धन जुटाने से किसी नगर निगम का लेखा व्यवहार और अन्य प्रणालियों में सुधार होता है.

उन्होंने कहा कि 10 साल का यह निर्गम ऐसे समय आया है जबकि ऋण दरें पिछले एक दशक के सबसे निचले स्तर पर हैं. यह दूसरी सबसे निचली कूपन दर 8.5 प्रतिशत के साथ लाया गया है.

क्या होता है म्युनिसिपल बॉन्ड

शहरी निकायों द्वारा म्युनिसिपल बॉन्ड जारी किया जाता है. एक कंपनी की ही भांति नगर निगम को भी अपने विकास के कामों, जैसे सड़क, स्कूल आदि बनाना या अन्य सरकारी कामों के लिए पैसे की आवश्यकता होती है. जिसकी पूर्ति के लिए वह बॉन्ड भी जारी कर सकते हैं.

भारत के और किन नगर निगमों ने जारी किया है बॉन्ड

एशिया के सबसे पुराने शेयर बाजार बीएसई में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि बॉन्ड निर्गम के जरिये धन जुटाने से किसी नगर निगम का लेखा व्यवहार और अन्य प्रणालियों में सुधार होता है.

उन्होंने कहा कि 10 साल का यह निर्गम ऐसे समय आया है जबकि ऋण दरें पिछले एक दशक के सबसे निचले स्तर पर हैं. यह दूसरी सबसे निचली कूपन दर 8.5 प्रतिशत के साथ लाया गया है.

हालांकि बॉन्ड के जरिए पैसा जुटाने वाला लखनऊ पहला नगर निगम नहीं है. इसके पहले भी देश के कई नगर निगम समय-समय पर अपने बॉन्डों को सूचीबद्ध करते रहे हैं. म्युनिसिपल बॉन्ड की शुरुआत 1998 में अहमदाबाद से हुई थी. आइए डालते हैं एक विस्तृत नजर:

अहमदाबाद नगर निगम बॉन्ड: 24 घंटे जल आपूर्ति, साबरमती प्रदूषण नियंत्रण के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि योजना के लिए अहमदाबाद नगर निगम ने 200 करोड़ रुपये का बॉन्ड सूचीबद्ध किया था.

इश्यू के दौरान यह 10 गुना से अधिक सब्सक्राइब्ड हुआ था.

अमरावती बॉन्ड:आंध्र प्रदेश सरकार के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट अमरावती के लिए प्रदेश सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये मूल्य वाला 'अमरावती बॉन्ड 2018' बीएसई में सूचीबद्ध किया गया था. यह इश्यू 1.53 गुना ओवर सब्सक्राइब्ड होकर सूचीबद्ध हुआ था.

पुणे म्युनिसिपल बॉन्ड:पानी के मीटर की परियोजना के लिए पुणे नगर निगम ने 200 करोड़ रुपये के बॉन्ड को सूचीबद्ध किया. जो कि इश्यू के दौरान 6 गुना अधिक सब्सक्राइब्ड हुआ.

इंदौर म्युनिसिपल बॉन्ड:नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार इंदौर नगर निगम ने अपना बॉन्ड सूचीबद्ध किया था. 140 करोड़ रुपये मूल्य की इस सूची को 1.6 गुना अधिक सब्सक्राइब्ड किया गया था.

इन शहरों के अलावा विशाखापत्तनम, सूरत, भोपाल और हैदराबाद के नगर निगमों के भी बॉन्ड शेयर बाजारों में सूचीबद्ध है.

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