नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने शानदार जीत हासिल की. उनकी आम आदमी पार्टी (आप) 62 सीटें पर जीत दर्ज की है. जहां आप ने इसे 'सुशासन' की जीत करार दिया है, वहीं विपक्ष इसे आप द्वारा घोषित मुफ्त घोषणाओं के परिणाम के रूप में देखता है.
लेकिन केजरीवाल को इन खर्चों के लिए पैसे कहां से मिले? केजरीवाल एक चतुर 'बनिया' है, जिसने अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दिल्ली के स्वस्थ वित्त का विवेकपूर्ण उपयोग किया.
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, 2016-17 में 1,051 करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे से, दिल्ली 2017-18 में 113 करोड़ रुपये के अधिशेष राज्य में बदल गया, जो कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 0.02 प्रतिशत था.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने 2014-15 और 2017-18 के बीच प्राथमिक अधिशेष को बनाए रखा. यह 2017-18 में जीएसडीपी के 0.43 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 62.88 प्रतिशत बढ़ गया.
दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में पिछले पांच वर्षों में अधिशेष राजस्व था. 2017-18 में इसमें 2.59 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन यह जीएसडीपी का 0.72 प्रतिशत था.
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में कुल 49,202.08 करोड़ रुपये के खर्च के मुकाबले 41,159.42 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे 8,042.66 करोड़ रुपये की बचत हुई. यह 16.35 प्रतिशत की बचत थी.