नई दिल्ली: जेट एयरवेज के आर्थिक तंगी वाले पायलटों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु से हस्तक्षेप करने और प्रबंधन को उनके लंबित वेतन को जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया है.
जेट एयरवेज के भारतीय पायलटों के पंजीकृत ट्रेड यूनियन नेशनल एविएटर्स गिल्ड का कहना है कि हमें डर है कि एयरलाइन गिरने की कगार पर है. जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इससे विमानन की गतिशीलता में बदलाव आएगा क्योंकि क्षमता में कमी के कारण किराए में वृद्धि होगी, और यात्रा करने वाली जनता को बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ेगा.
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एविएटर्स गिल्ड ने दो दिन पहले कहा था कि अगर उन्हें 31 मार्च तक उनके लंबित वेतन को मंजूरी नहीं दी गई तो वे एक अप्रैल से उड़ान बंद कर देंगे.
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एविएटर्स गिल्ड ने दो दिन पहले कहा था कि अगर उन्हें 31 मार्च तक उनके लंबित वेतन को मंजूरी नहीं दी गई तो वे एक अप्रैल से उड़ान बंद कर देंगे.
एविएटर्स गिल्ड का कहना है कि एयरलाइन एक कठिन वित्तीय दौर से गुजर रही है. लेकिन पायलटों और इंजीनियरों को छोड़कर सभी कर्मचारियों को समय पर भुगतान किया जा रहा है.
एविएटर्स गिल्ड ने कहा कि पायलट और इंजीनियर को तीन महिनों से वेतन नहीं मिला है. जिसके चलते कई वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. प्रबंधन के इनकी नहीं सुन रही है. इसके बावजूद पायलटों ने एयरलाइन के संचालन में बाधा नहीं आने दी है.
बता दें कि नरेश गोयल के नेतृत्व वाली जेट एयरवेज करीब एक अरब डॉलर से अधिक ऋण ली है. इसके साथ ही वे अपने 25 साल के अस्तित्व के सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रही है. एयरलाइन की अबतक 120 से ज्यादा विमान ग्राउंडेड हो गए हैं.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने पहले ही जेट एयरवेज एयरलाइन को निर्देश दिया है कि समय पर संचार, क्षतिपूर्ति, रिफंड और वैकल्पिक उड़ानों के बारे में यात्रियों की सुविधा के लिए लागू नागरिक विमानन आवश्यकताओं के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करें.
एविएटर्स गिल्ड ने कहा कि निरंतर अनिश्चितता और वित्तीय कठिनाइयां पायलटों और इंजीनियरों के बीच अत्यधिक तनाव पैदा कर रही हैं जो आसानी से सुरक्षा से समझौता कर सकते हैं जो कि किसी भी हाल में सही नहीं है.
(एएनआई )