हैदराबाद:संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2019 को अपना 74/245 संकल्प अपनाते हुए 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. यह दिवस बहुपक्षीय विकास बैंकों की महत्वपूर्ण क्षमता और अन्य अंतरराष्ट्रीय विकास बैंकों को स्थायी विकास के वित्तपोषण प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया है.
इस वर्ष का उत्सव वित्तीय और बैंकिंग संस्थानों और दुनिया द्वारा स्थायी विकास के 203 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी की गई भूमिका पर प्रकाश डालता है.
भारत के बैंकों का राष्ट्रीयकरण
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो उस समय वित्त मंत्री भी थी, ने 19 जुलाई, 1969 को देश के 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का निर्णय लिया. 1955 में इंपीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसका नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया. इस फैसले ने 80 प्रतिशत बैंकिंग संपत्ति को राज्य के नियंत्रण में दे दिया.
भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास के तीसरे खंड ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण को "1947 के बाद से किसी भी सरकार द्वारा लिया गया सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय" कहा है. 1991 के आर्थिक सुधार भी इसकी तुलना में कम है."
बैंकों के राष्ट्रीयकरण का कारण, स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार द्वारा अपनाए गए समाजवाद के लक्ष्यों के साथ बैंकिंग क्षेत्र को जोड़ना था. आरबीआई का इतिहास बताता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की रिपोर्ट में बैंकों और बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण 1948 की शुरुआत में हुआ था. भारतीय जीवन बीमा निगम के गठन के साथ 1956 में बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया था, लेकिन बैंकों को 1969 तक इंतजार करना पड़ा. एसबीआई का 1955 में राष्ट्रीयकरण किया गया था. वर्तमान में भारत में 12 बैंक राष्ट्रीयकृत हैं.
2020 क्रांति: कॉर्पोरेट चला रहे हैं बैंकिंग प्रणाली
भारतीय रिजर्व बैंक ने 1993 में निजी प्रवर्तकों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने के लगभग 27 साल बाद भी, इस पर विभाजित मत हैं कि कॉरपोरेट को बैंकों को चलाने की अनुमति देना चाहिए या नहीं.
आरबीआई के आंतरिक कार्य समूह ने पिछले सप्ताह व्यापारिक घरानों के प्रवेश का पक्ष लेते हुए, कहा कि कंपनियां बैंकिंग में बहुत आवश्यक पूंजी, व्यावसायिक अनुभव और प्रबंधकीय क्षमता ला सकती हैं. लेकिन उन्होंने संबंधित-पार्टी उधार के पर्यवेक्षण पर चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से ऐसे सौदे जो जटिल कंपनी संरचनाओं के पीछे छिपते हैं या प्रवर्तकों और उनकी समूह कंपनियों के आपूर्तिकर्ताओं को उधार के माध्यम से संरचित किए गए थे.
10 सरकारी बैंकों के विलय के बाद देश में हैं कुल 12 सरकारी बैंक
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बड़ी विलय योजना 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई. इसके तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ. विलय के बाद, यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है. एसबीआई अभी भी देश का सबसे बड़ा बैंक है.
सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय हो गया और यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया. इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया है. आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हो गया है. इस विलय के बाद, देश में सरकारी बैंकों की संख्या 12 है. वर्ष 2017 में, देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी. इससे पहले, देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय कर दिया गया था.
बैंकिंग क्षेत्र पर कोरोना का प्रभाव:
महामारी के दौरान विश्व बैंक से भारत को सहायता