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अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस: कोरोना संकट के बीच भारत में क्या है बैंकों की स्थिति

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस के रूप में नामित किया है. आइए इस अवसर पर एक विस्तृत नजर डालते हैं भारतीय बैंकिंग प्रणाली और उसके संकटों पर.

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Published : Dec 4, 2020, 7:01 AM IST

अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस: कोरोना संकट के बीच भारत में क्या है बैंकों की स्थिति
अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस: कोरोना संकट के बीच भारत में क्या है बैंकों की स्थिति

हैदराबाद:संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर 2019 को अपना 74/245 संकल्प अपनाते हुए 4 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय बैंक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. यह दिवस बहुपक्षीय विकास बैंकों की महत्वपूर्ण क्षमता और अन्य अंतरराष्ट्रीय विकास बैंकों को स्थायी विकास के वित्तपोषण प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया है.

इस वर्ष का उत्सव वित्तीय और बैंकिंग संस्थानों और दुनिया द्वारा स्थायी विकास के 203 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी की गई भूमिका पर प्रकाश डालता है.

भारत के बैंकों का राष्ट्रीयकरण

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जो उस समय वित्त मंत्री भी थी, ने 19 जुलाई, 1969 को देश के 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने का निर्णय लिया. 1955 में इंपीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया और इसका नाम बदलकर भारतीय स्टेट बैंक कर दिया गया. इस फैसले ने 80 प्रतिशत बैंकिंग संपत्ति को राज्य के नियंत्रण में दे दिया.

भारतीय रिजर्व बैंक के इतिहास के तीसरे खंड ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण को "1947 के बाद से किसी भी सरकार द्वारा लिया गया सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय" कहा है. 1991 के आर्थिक सुधार भी इसकी तुलना में कम है."

बैंकों के राष्ट्रीयकरण का कारण, स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार द्वारा अपनाए गए समाजवाद के लक्ष्यों के साथ बैंकिंग क्षेत्र को जोड़ना था. आरबीआई का इतिहास बताता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की रिपोर्ट में बैंकों और बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण 1948 की शुरुआत में हुआ था. भारतीय जीवन बीमा निगम के गठन के साथ 1956 में बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया था, लेकिन बैंकों को 1969 तक इंतजार करना पड़ा. एसबीआई का 1955 में राष्ट्रीयकरण किया गया था. वर्तमान में भारत में 12 बैंक राष्ट्रीयकृत हैं.

2020 क्रांति: कॉर्पोरेट चला रहे हैं बैंकिंग प्रणाली

भारतीय रिजर्व बैंक ने 1993 में निजी प्रवर्तकों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने के लगभग 27 साल बाद भी, इस पर विभाजित मत हैं कि कॉरपोरेट को बैंकों को चलाने की अनुमति देना चाहिए या नहीं.

आरबीआई के आंतरिक कार्य समूह ने पिछले सप्ताह व्यापारिक घरानों के प्रवेश का पक्ष लेते हुए, कहा कि कंपनियां बैंकिंग में बहुत आवश्यक पूंजी, व्यावसायिक अनुभव और प्रबंधकीय क्षमता ला सकती हैं. लेकिन उन्होंने संबंधित-पार्टी उधार के पर्यवेक्षण पर चिंता व्यक्त की, विशेष रूप से ऐसे सौदे जो जटिल कंपनी संरचनाओं के पीछे छिपते हैं या प्रवर्तकों और उनकी समूह कंपनियों के आपूर्तिकर्ताओं को उधार के माध्यम से संरचित किए गए थे.

10 सरकारी बैंकों के विलय के बाद देश में हैं कुल 12 सरकारी बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बड़ी विलय योजना 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई. इसके तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ. विलय के बाद, यह देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है. एसबीआई अभी भी देश का सबसे बड़ा बैंक है.

सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय हो गया और यह देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन गया. इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय कर दिया गया है. आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हो गया है. इस विलय के बाद, देश में सरकारी बैंकों की संख्या 12 है. वर्ष 2017 में, देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 थी. इससे पहले, देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय कर दिया गया था.

बैंकिंग क्षेत्र पर कोरोना का प्रभाव:

महामारी के दौरान विश्व बैंक से भारत को सहायता

विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों ने गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए भारत के प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारत के कोविड-19 सामाजिक संरक्षण प्रतिक्रिया कार्यक्रम में 1 बिलियन डॉलर का अनुमोदन किया. भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में तत्काल सहायता के लिए 1 बिलियन डॉलर समर्थन की घोषणा की गई थी. समर्थन की दूसरी किस्त दो चरणों में वित्त पोषित की जाएगी - वित्तीय वर्ष 2020 के लिए 750 मिलियन डॉलर का तत्काल आवंटन और 250 मिलियन डॉलर का दूसरा किश्त जो वित्त वर्ष 2021 में उपलब्ध कराया जाएगा.

कोविड युग में आरबीआई की चेतावनी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चेतावनी दी है कि कोविड-19 महामारी द्वारा बनाए गए आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप बैंकों की एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) 20 वर्षों में सबसे अधिक हो सकती है. केंद्रीय बैंक के अनुसार, मार्च 2020 में एनपीए 8.5 प्रतिशत पर पहुंच गया. मार्च 2021 तक यह 12.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है.

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी

1 लाख रुपये और उससे अधिक के बैंकों धोखाधड़ी के मूल्य में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है, जो कि वित्त वर्ष 20 में 1.85 ट्रिलियन जा पहुंचा है, वहीं इसकी संख्या में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है. सरकार ने संसद को सूचित किया, बैंकों के साथ वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामलों में शामिल 38 व्यक्ति 1 जून, 2015 से 31 दिसंबर, 2019 के दौरान देश छोड़कर भाग गए.

भगोड़े की लंबी सूची में 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के बैंक धोखाधड़ी के आरोपी विजय माल्या, 12,000 करोड़ रुपये धोखाधड़ी के आरोपी नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और परिवार आदि शामिल हैं.

धोखाधड़ी मामले में अग्रणी बैंक

पंजाब नेशनल बैंक:पीएनबी जो कि 2018 में 14,000 करोड़ रुपये के नीरव मोदी घोटाले की चपेट में आया. जिसके बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 में बैंक में धोखाधड़ी के मामलों में तेज उछाल रिपोर्ट की है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बैंक ने वित्त वर्ष 20 के दौरान 14,633 करोड़ रुपये के 509 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट की. जो कि वित्त वर्ष 19 के 216 मामलों में 5,903 करोड़ रुपये की तुलना में दोगुनी है.

भारतीय स्टेट बैंक:एसबीआई न केवल पीएनबी, बल्कि देश का सबसे बड़ा ऋणदाता है. एसबीआई ने भी धोखाधड़ी के मामलों में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की है. वास्तव में, एसबीआई की धोखाधड़ी के मामले (राशि के मामले में) पिछले वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष में तीन गुना हो गए हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 20 में 6,964 मामलों में ऋणदाता को 44,622.45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि पिछले वर्ष के 2,616 मामलों में 12,387.13 करोड़ रुपये का नुकसान था.

निजी बैंकों का क्या हाल है?

कोटक महिंद्रा बैंक ने 643 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट की जिसमें 579.60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई, जबकि पिछले वर्ष 376 मामलों में 14.10 करोड़ मामले थे.

एक अन्य प्रमुख निजी ऋणदाता ऐक्सिस बैंक के मामलों में, बैंक ने वित्त वर्ष 2015 में धोखाधड़ी के 2,030 करोड़ रुपये के 52 मामलों की रिपोर्ट की है, जबकि वित्त वर्ष 2015 के 145 मामलों में से केवल 529 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी दर्ज की थी.

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