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भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के दुष्प्रभावों से 'काफी हद तक' उबरी: पनगढ़िया

जानेमाने अर्थशास्त्री ने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहेगी. पनगढ़िया ने कहा कि यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है और सुधार पूरे देश में हुआ है.

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Published : Jan 25, 2022, 12:51 PM IST

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया

नई दिल्ली:नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya, former Vice Chairman of NITI Aayog) ने मंगलवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था (indian economy) महामारी के चलते पैदा हुए व्यवधानों से 'काफी हद तक' उबर गई है और उम्मीद जताई कि यह सुधार जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि दर फिर से हासिल करेगी. वहीं, पनगढ़िया ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को अब वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटे को आधा से एक प्रतिशत तक कम करने का संकेत देना चाहिए.

जानेमाने अर्थशास्त्री ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोविड से पहले के जीडीपी के स्तर पर लौटने के लिए काफी हद तक सुधार किया है. सिर्फ निजी खपत अभी भी अपने कोविड-19 से पहले के स्तर से नीचे है. उन्होंने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहेगी. पनगढ़िया ने कहा कि यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक है और सुधार पूरे देश में हुआ है. भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 7.3 प्रतिशत की गिरावट हुई थी.

पनगढ़िया ने कहा कि टीकाकरण के चलते महामारी काबू में आने से पुनरुद्धार जारी रहेगा और 7-8 प्रतिशत वृद्धि का दौर वापस आ जाएगा.

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कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि सरकार को अब राजकोषीय घाटे को कम करने पर जोर देना चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर अगली पीढ़ी के लिए एक बड़ा कर्ज का बोझ तैयार हो जाएगा.

पीटीआई

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