नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कहा कि दो प्रतिशत डिजिटल कर (समानीकरण शुल्क) लगाना अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नहीं है क्योंकि यह सभी प्रवासी ई-वाणिज्य परिचालकों पर लगता है चाहे वे किसी भी देश से क्यों न हों.
हालांकि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार इस संदर्भ में अमेरिका के निर्णय का परीक्षण करेगी और देश के हितों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त कदम उठाएगी.
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) द्वारा की गई जांच के संदर्भ में यह बयान दिया गया है. जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ई-वाणिज्य आपूर्ति पर भारत का दो प्रतिशत डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव है और यह अंतररराष्ट्रीय कर सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है.
भारत ने इस संदर्भ में अपनी राय से यूएसटीआई को 15 जुलाई, 2020 को अवगत करा दिया और पांच नवंबर, 2020 को हुये द्विपक्षीय विचार-विमर्श में भाग लिया.
भारत ने इस बात पर जोर दिया था कि डिजिटल कर भेदभावूपर्ण नहीं है. इसके उलट इसमें यह सुनिश्चित किया गया कि ई-वाणिज्य गतिविधियों के संदर्भ में भारतीय और विदेशी इकाइयों या जिनका भारत में स्थायी प्रतिष्ठान नहीं है, सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध हों.
भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा डिजिटल कर
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजिटल कर भारत में होने वाली कमाई पर ही लगेगा, दूसरे क्षेत्रों से इसका कोई लेना-देना नहीं है. बयान के अनुसार इसमें पूर्व प्रभाव से कोई बात नहीं है क्योंकि शुल्क एक अप्रैल 2020 से पहले लगाया गया और यह उसी समय से प्रभाव में आया है.
मंत्रालय के अनुसार डिजिटल कर का मकसद निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है और उन कंपनियों पर कर लगाने की सरकार के अधिकार का उपयोग करना है जिनका डिजिटल परिचालन के जरिये भारतीय बाजार से करीबी जुड़ाव है.