हैदराबाद: कोरोनो वायरस प्रकोप के बीच अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को फिर से शुरू करने की दिशा में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका के साथ व्यक्तिगत द्विपक्षीय 'एयर बबल' स्थापित किए हैं. इससे इन देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को संचालित करने के लिए समझौते के रुप में देखा जाता है. जिसमें एयरलाइंस को विषेश अनुमति दी जाती है.
समझौते के तहत भारत ने एयर फ्रांस को दिल्ली, बेंगलुरू और मुंबई के लिए 18 जुलाई से एक अगस्त तक 28 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी है, जबकि अमेरिका स्थित युनाइटेड एयरलाइंस को 17 जुलाई से 31 जुलाई के बीच 18 उड़ानें संचालित करने की अनुमति दी गई है, और लुफ्थांसा की उड़ानों के लिए जर्मनी से बातचीत जारी है.
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हालांकि कई लोगों को नहीं पता है कि एयर बबल आखिर होता क्या है और भारतीय विमानन क्षेत्र ने कोरोनावायरस महामारी के बीच इसे क्यों शुरु किया है.
क्या है एयर बबल?
एयर बबल या यात्रा बबल अनिवार्य रूप से दो देशों के बीच एक समझौता है जो गैर-आवश्यक यात्राओं के लिए सीमाओं के पार यात्रा की अनुमति देता है.
इस तरह के सौदों के तहत निश्चित समय के लिए पूर्व-निर्धारित गंतव्यों के बीच निर्धारित संख्या में उड़ानें बिना रुके चलती हैं. आमतौर पर ऐसे गलियारे दोनों देशों के नागरिकों के लिए लंबी संगरोध की छूट देते हैं. हालांकि, विभिन्न देशों के साथ अलग-अलग व्यवस्थाओं के आधार पर स्थितियां भिन्न हो सकती हैं.
भारत ने एयर बबल को क्यों माना?
अमेरिका द्वारा शिकायत के बाद भारत ने एयर बबल पर विचार करना शुरू कर दिया था कि भारत ने अमेरिकी एयरलाइनों पर प्रतिबंध लगाकर उड़ान समझौतों का उल्लंघन कर रहा था, लेकिन एयर इंडिया को वंदे भारत मिशन के तहत भारतीय नागरिकों को कई देशों से वापस लाने की अनुमति दे रहा था.
एयर बबल बनाने को भारत द्वारा अमेरिकी सरकार के आरोपों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. क्रिसिल के अनुमान के मुताबिक, इस कदम से भारतीय उड्डयन क्षेत्र को कुछ राहत मिल सकती है, जो इस वित्त वर्ष में 24,000-25,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे में है.