नई दिल्ली:आईएलएंडएफएस संकट में सबसे बड़े खलनायक क्रेडिट रेटिंग एजेंसिंया रही हैं, क्योंकि उन्होंने आईएल एंड एफएस फाइनेंसियल सर्विसेज (आईएफआईएस) के वाणिज्यिक पत्रों और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडीज) को लगातार सकारात्मक और प्रभावशाली रेटिंग प्रदान की, जबकि कंपनी की वित्तीय हालत खस्ताहाल थी. गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय को सौंपी गई जांच रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.
दस्तावेजों से पता चलता है कि कई निवेशकों ने आईएल एंड एफएस की वित्तीय इकाई के एनसीडी और वाणिज्यिक पेपरों की खरीद की थी, क्योंकि उन्होंने यह फैसला रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई उच्च रेटिंग को देखकर किया था.
केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी अनुराग जैन ने आईएफआईएन के वाणिज्यिक पेपरों में करीब 30 करोड़ रुपये एसीडीज में करीब 10 करोड़ रुपये का निवेश किया था. उन्होंने बताया कि उनका निवेश का फैसला मुख्य तौर से सीएआरई और आईसीआरए जैसी रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग से प्रभावित था.
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एसएफआईओ के दस्तावेजों में जैन के हवाले से कहा गया, "आईएल एंड एएस/आईएफआईएन के पेपरों में निवेश मुख्य तौर पर सीएआरई और आईसीआरए जैसी रेटिंग एजेंसियों द्वारा दी गई रेटिंग से प्रभावित होकर किया गया, जिन्होंने कंपनी को अपनी श्रेणी में सबसे उच्च रेटिंग प्रदान की."
दस्तावेजों के मुताबिक, साल 2013 से 2018 के अवधि के दौरान जिन एजेंसियों ने आईएफआईएन को रेटिंग प्रदान की थी, उनमें सीएआरई रेटिंग्स, आईसीआरए लि., इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च और ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया शामिल हैं.
आईएफआईएन के एनसीडीज में करीब 115 रुपये के निवेश के साथ ही ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी ने भी आईएफआईएन को मिली रेटिंग के कारण धोखा खाया है.