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रोजगार के लिये जरूरी कौशल नहीं रखते भारतीय: आईबीएम प्रमुख

दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी आईबीएम की प्रमुख गिन्नी रोमटी ने कहा कि नये जमाने के रोजगार पर्याप्त मात्रा में सृजित हो रहे हैं, लेकिन भारतीयों के पास उन नौकरियों के लिए जरूरी कौशल का अभाव है. इस वजह से उन्हें नौकरियां नहीं मिल रही है.

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Published : Mar 13, 2019, 4:38 PM IST

कॉन्सेप्ट इमेज।

मुंबई : दुनिया की दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम की प्रमुख गिन्नी रोमेटी ने कहा है कि भारतीयों के पास जरूरी कौशल का अभाव है, जिसकी वजह से उन्हें नौकरी नहीं मिल रही. जबकि दूसरी तरफ नये जमाने के रोजगार अधिक मात्रा में सृजित हो रहे हैं. उन्होंने सभी को डिग्री से इतर शिक्षा प्राप्त करने की जरूरत पर जोर दिया.

कुल 180 अरब डॉलर के घरेलू साफ्टवेयर उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से 40 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है. आईबीएम की चेयरमैन, अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी रोमेटी ने कहा कि यह वैश्विक समस्या है और केवल भारत तक सीमित नहीं है.

कंपनी के एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने बुधवार को कहा, "भारत में भी वहीं मुद्दे हैं. रोजगार सृजित हो रहे हैं लेकिन उसके मुताबिक काबिलियत या कौशल नहीं हैं." रोमेटी ने कहा, "...आपको यह भरोसा करना होगा कि डिग्री के मुकाबले कौशल ज्यादा जरूरी है."

उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है जबकि बताया जाता है कि इंजीनियरिंग की डिग्री वाले लाखों युवाओं के पास रोजगार नहीं है. उन्हें अगर शुरुआती स्तर पर नौकरी मिलती भी है तो अनुभव रखने वाले अर्द्ध-कुशल कामगारों से बहुत कम मेहनताना मिलता है. ऐसी खबरें हैं कि लाखों इंजीनियरों तथा बिजनेस स्कूल से डिग्री लेने वाले युवाओं में करीब तीन चौथाई रोजगार के काबिल नहीं हैं. यह देश की शिक्षा व्यवस्था के साथ दाखिला प्रक्रिया की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है.

निजी आर्थिक शोध संस्थान सीएमआईई के आंकड़े में कहा गया है कि फरवरी की स्थिति के अनुसार 3.12 करोड़ युवा पूरी सक्रियता के साथ रोजगार तलाश रहे हैं. कुल 1.35 करोड़ की आबादी में 60 प्रतिशत से अधिक 35 साल से कम के हैं.

उन्होंने कहा कि धारणा के विपरीत पर्याप्त मात्रा में रोजगार हैं और उतनी ही संख्या में युवा नौकरी खोज रहे हैं लेकिन कौशल की कमी रोड़ा है और यह एक वास्तविक समस्या है. रोमेटी ने कहा कि कंपनियों तथा सरकार को इस मसले के हल के लिये मिलकर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हम ऐसी दुनिया नहीं चाहेंगे जहां कुछ लोग नई प्रौद्योगिकी में काम करना जानते हैं, जबकि बहुसंख्यकों के साथ ऐसा नहीं है.
(भाषा)
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