चेन्नई: प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ एम एस स्वामीनाथन ने किसानों की आय दोगुनी करने, युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने और जीरो बजट जैसे कई मुद्दों पर ईटीवी भारत से बातचीत की. देखिए ये खास रिपोर्ट.
प्रश्न: केंद्र सरकार ने किसान की आय को दोगुना करने का वादा किया है. क्या आपको लगता है कि वर्तमान परिदृश्य में यह संभव है?
उत्तर: खेती की आर्थिक व्यवहार्यता के लिए किसान की आय आवश्यक है. यदि किसान की आय नहीं होगी तो सरकार को हर समय ऋण माफ करना होगा. लोन माफी अब बहुत लोकप्रिय मांग हो गई है. यदि आप विश्लेषण करते हैं कि किसान कर्ज माफी के लिए क्यों कह रहे हैं तो आप पाएंगे की किसान कर्ज नहीं चुका सकते क्योंकि उनकी आय पर्याप्त नहीं है. खेती की आर्थिक व्यवहार्यता को बढ़ाने के लिए युवाओं को खेती की तरफ आकर्षित करना होगा. भारत युवाओं की भूमि हैं. यहां के 45 प्रतिशत युवा गांवों में रहते हैं. उनमें से कई कृषि पर निर्भर हैं. इसलिए किसानों के लिए राष्ट्रीय आयोग (स्वामीनाथन आयोग), जिसकी मैंने अध्यक्षता की थी उसमें मैंने बताया था कि कोई नई राष्ट्रीय सरकारी नीति में कृषि उपज से ज्यादा महत्वपूर्ण कृषि आय को देना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहते हैं कि हमें कुछ वर्षों में किसान की आय दोगुनी करनी चाहिए. हमारे विचार में यह संभव है. कुछ भी मुफ्त उपहार नहीं है. किसान की आय को दोगुना करने के लिए जरूरी चीजें करना आवश्यक है.
प्रश्न: किसानों की आय दोगुनी करने और खेती को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने की जरूरत है?
उत्तर: हमें इनपुट प्राइसिंग, आउटपुट प्राइसिंग, टैक्सेशन पॉलिसीज, मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सहित सिंचाई, पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी पर ध्यान देने की जरूरत है. उदाहरण के लिए म्यांमार में चावल के पौधे के हर हिस्से का उपयोग करके किसानों की आय को तीन गुना कर देती है. इसे राइस बायो पार्क कहा जाता है. इसी तरह हमारे देश में चावल बायो पार्क या गेहूं बायो पार्क स्थापित करना संभव है. पौधे के हर हिस्से का आर्थिक मूल्य होता है. फिलहाल हम मुश्किल से 40-50 प्रतिशत कृषि उपज का उपयोग मूल्य संवर्धन के लिए करते हैं, इसलिए हमारे पास अपार अवसर हैं.
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू की गई है?
उत्तर: मुझे लगता है कि अब उन्होंने किसानों के लिए आय उन्मुखीकरण के महत्व को पहचान लिया है. जब भी हम उद्योग के बारे में बात करते हैं तो हम इस बारे में बात करते हैं कि आय कितनी है. कृषि में हम जनसंख्या की जरूरतों की गणना करते हैं. अब हम कृषि मूल्य नीति, कृषि उत्पादन नीति, किसानों के हित में कृषि बाजार नीति, उपभोक्ताओं के हित और पूरे देश के हित में उन्मुख हैं. अब समय आ गया है कि हम आय के अंतर को दूर करें. मैंने किसानों की उत्पादकता बढ़ाने सहित आय में सुधार के कई तरीके दिखाए हैं. उदाहरण के लिए यदि आप हाइब्रिड चावल उगाते हैं तो आपको प्रति हेक्टेयर 5-7 टन मिलता है. साधारण चावल की खेती से 1-2 टन प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है. इस तरीके से हम किसानों की आय में सुधार कर सकते हैं.
प्रश्न: आज के समय में हम खाद्य मुद्रास्फीति को आसमान छूते हुए देख रहे हैं और इसके बावजूद किसानों को उनकी उपज की कम कीमत मिलती है. क्या आपको लगता है कि बिचौलिए इससे पैसा कमा रहे हैं?
उत्तर: बहुत सारी चीजें हैं जिन्हें संबोधित किया जाना चाहिए. जैसे की आपूर्ति और मांग जो कीमत की संतुलन स्थिति को दर्शाता है. वहीं, दूसरा है भूमि उपयोग करने का तरीका. देश में अपार संभावनाएं हैं जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है. मैंने 1960 में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने की सिफारिश की थी. जहां किसान नवीनतम तकनीकों को सीख सकते हैं. हमें अधिक वैज्ञानिक शिक्षा की आवश्यकता है. हमें कृषि में उन्नति के महत्व और किसानों की आय में सुधार करने के लिए अधिक मीडिया जागरूकता की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री नए भारत की बात करते हैं. नया भारत जो कृषि की नींव पर बनाया गया हो. नई कृषि के बिना कोई नया भारत नहीं है. मुझे लगता है कि अब हम आगे बढ़ने के लिए अच्छी स्थिति में हैं. मुझे उम्मीद है कि बजट इसे प्रतिबिंबित करेगा. हमें उम्मीद है कि नए भारत का नया बजट कृषि-समर्थक, गरीब-समर्थक और उपभोक्ता-समर्थक होगा.