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मार्च तक बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 10.1-10.6 प्रतिशत होगा : इक्रा

एक रिपोर्ट में इक्रा ने कहा कि ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक अब समाप्त हो चुकी है. संपत्ति वर्गीकरण पर अभी उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार है. निकट भविष्य में बैंकों का सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए बढ़कर क्रमश: 10.1-10.6 प्रतिशत और 3.1-3.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.

मार्च तक बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 10.1-10.6 प्रतिशत होगा : इक्रा
मार्च तक बैंकों का सकल एनपीए बढ़कर 10.1-10.6 प्रतिशत होगा : इक्रा

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Published : Dec 28, 2020, 7:53 PM IST

मुंबई :बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) मार्च, 2021 तक बढ़कर 10.1 से 10.6 पर पहुंच जाएंगी. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को यह अनुमान जताया.

इक्रा ने कहा कि इस दौरान बैंकों का शुद्ध एनपीए 3.1 से 3.2 प्रतिशत रहेगा. हालांकि, रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि मार्च, 2022 तक शुद्ध एनपीए घटकर 2.4-2.6 प्रतिशत रह जाएगा.

इक्रा की रिपोर्ट में कहा गया है, "ऋण की किस्त के भुगतान पर रोक अब समाप्त हो चुकी है. संपत्ति वर्गीकरण पर अभी उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार है. निकट भविष्य में बैंकों का सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए बढ़कर क्रमश: 10.1-10.6 प्रतिशत और 3.1-3.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. सितंबर, 2020 तक यह क्रमश: 7.9 प्रतिशत और 2.2 प्रतिशत था."

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में शुद्ध एनपीए और कर्ज के लिए प्रावधान निचले स्तर पर रहेगा, क्योंकि बैंकों के ऋण पोर्टफोलियो में मजबूत संग्रह हुआ है. ज्यादातर बैंकों का संग्रह 90 प्रतिशत से अधिक रहा है.

इक्रा ने कहा कि ऋण पुनर्गठन के आग्रह पूर्व में लगाए गए अनुमान से कहीं कम है. इसकी वजह अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार और सरकार की आपात ऋण गारंटी योजना है.

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एजेंसी ने अपने ऋण पुनर्गठन अनुमान को घटाकर 2.5 से 4.5 प्रतिशत कर दिया है. पहले उसने इसके 5 से 8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.

इक्रा के क्षेत्र प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा, "सतत संग्रह और पुनर्गठन निचले स्तर पर रहने से संपत्ति की गुणवत्ता और सुधरेगी. शुद्ध एनपीए मार्च, 2022 तक घटकर 2.4 से 2.6 प्रतिशत रह जाएगा. इससे ऋण के लिए प्रावधान घटेगा और वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों का मुनाफा बढ़ेगा."

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कर्ज को लेकर प्रावधान 2021-22 में घटकर 1.8 से 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष में इसके 2.2 से 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2019-20 में यह 3.1 प्रतिशत रहा था.

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