नई दिल्ली: नई दिल्ली: भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में संलिप्त अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के अभियान के चौथे चक्र में 15 और कर अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गयी है. केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने मूलभूत नियम 56 (जे) के तहत भ्रष्टाचार और दूसरे आरोपों वाले 15 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया. आधिकारिक सूत्रों न यह जानकारी दी.
इस साल जून के बाद यह चौथा मौका है जब सरकार ने भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों के आरोपों वाले कर अधिकारियों को नौकरी से बाहर किया है. इससे पहले के तीन दौर में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के 12 अधिकारियों सहित कुल 49 कर अधिकारियों को बाहर किया गया.
ये अधिकारी हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति
बर्खास्त अधिकारी में ओपी मीणा, शैलेंद्र ममदी, पीके बजाज, संजीव घी, के जयप्रकाश, वी अप्पला राजू, राकेश एच शर्मा, नितिन गर्ग, एसए फजलुल्ला, कृपा सागर दास, पी जोस कुंजपिपलू, सीजे विंसेंट, टीके भट्टाचार्य, कमलेश कुमार त्रिपाठी हैं और एसआर सेनापति शामिल हैं.
सूत्रों ने बताया कि कर विभाग का यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिये गये भाषण के अनुरूप है. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त पर लालकिले से अपने संबोधन में कहा था कि कर विभाग में कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं और करदाताओं को बेवजह परेशान करते हैं. विभाग को कलंकित करने वाले ये लोग ईमानदार करदाताओं को अपना लक्ष्य बनाते हैं या फिर मामूली अथवा प्रक्रियात्मक उल्लंघन जैसे छोटे मोटे उल्लंघनों को लेकर जरूरत से ज्यादा कर्रवाई करते हैं.