मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये पैसा स्थानांतरित करने का शुल्क एक जुलाई से समाप्त करने की घोषणा की है. धन स्थानांतरण के ये लोकप्रिय माध्यम हैं. केंद्रीय बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह लाभ उसी दिन से अपने ग्राहकों को दें.
रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) बड़ी राशियों को एक खाते से दूसरे खाते में तत्काल स्थानांतरण करने की सुविधा है. इसी तरह एनईएफटी के जरिये दो लाख रुपये तक की राशि का त्वरित अंतरण किया जा सकता है.
देश का सबसे बड़ा भारतीय स्टेट बैंक एनईएफटी के जरिये धन स्थानांतरण के लिए एक रुपये से पांच रुपये का शुल्क लेता है. वहीं आरटीजीएस के राशि स्थानांतरित करने के लिए वह पांच से 50 रुपये का शुल्क लेता है.
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भारतीय रिजर्व बैंक ने छह जून को द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा के बाद घोषणा में कहा था कि उसने आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली के जरिये उसके द्वारा सदस्य बैंकों पर लगाए जाने वाले विभिन्न शुल्कों की समीक्षा की है.
डिजिटल तरीके से धन स्थानांतरण को प्रोत्साहन के लिए रिजर्व बैंक ने एक जुलाई, 2019 से उसके द्वारा बैंकों पर लगाए जाने वाले प्रोसेसिंग शुल्क तथा अलग-अलग समय के लिए आरटीजीएस से धन स्थानांतरण शुल्क के साथ एनईएफटी के जरिये लेनदेन पर प्रोसेसिंग शुल्क समाप्त करने की घोषणा की.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली से लेनदेन पर शुल्क समाप्त किए जाने का लाभ अपने ग्राहकों को स्थानांतरित करें. रिजर्व बैंक आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये धन स्थानांतरण पर न्यूनतम शुल्क लगाता है, जबकि बैंक अपने ग्राहकों से काफी अधिक शुल्क वसूलते हैं.