नासिक: देश की मंडियों में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और इसकी कीमतों को नियंत्रण में रखने के मकसद से केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध में सोमवार को महाराष्ट्र के नासिक में किसानों ने प्याज की नीलामी रोक दी.
देश में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन नासिक में होता है और नासिक स्थित लासलगांव प्याज की सबसे बड़ी मंडी है.
केंद्र सरकार ने रविवार को प्याज की सभी वेरायटी पर रोक लगाने के साथ-साथ खुदरा और थोक व्यापारियों के लिए प्याज की स्टॉक सीमा भी तय कर दी. खुदरा व्यापारियों के लिए प्याज की स्टॉक सीमा 100 कुंटल तय की गई है. वहीं, थोक व्यापारी 500 कुंटल से अधिक प्याज नहीं रख सकते हैं.
नासिक मंडी के सूत्रों के अनुसार, सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से किसान नाराज हैं और उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए सोमवार को कुछ मंडियों में प्याज की नीलामी रोक दी.
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महाराष्ट्र की एक अन्य प्रमुख प्याज मंडी पिपलगांव में हालांकि सुबह में प्याज की कुछ नीलामी हुई. मंडी सूत्र ने बताया कि पिपलगांव में प्याज का थोक भाव 2,000-3,200 रुपये प्रति कुंटल था जबकि आवक 6,000-7,000 कुंटल थी.
नासिक के प्याज कारोबारी महेश ने बताया कि प्याज की नई फसल नवंबर से जोर पकड़ेगी, लेकिन सरकार ने इससे पहले निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे किसानों को सीजन के दौरान अच्छा भाव नहीं मिल पाएगा.
भारी बारिश और बाढ़ के कारण देश के प्रमुख प्याज उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्याज की फसल खराब होने और नई फसल की आवक में विलंब होने से प्याज के दाम में भारी वृद्धि हुई. प्याज के दाम में हुई बेतहाशा वृद्धि के बाद सरकार हरकत में आई और प्याज की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए जरूरी कदम उठाए गए.
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सरकार द्वारा उठाए गए फैसले के बाद दिल्ली की आजादपुर मंडी में बीते तीन दिनों से प्याज के दाम में स्थिरता बनी हुई है.
व्यापारियों से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 25-34 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि आवक 46 ट्रक थी.
हालांकि एपीएमसी सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, प्याज का भाव आजादपुर मंडी में 15-40 रुपये प्रति किलोग्राम था.
ऑनियन मर्चेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजेंद्र शर्मा ने बताया कि रविवार को मंडी में आया 72 ट्रक प्याज भी पड़ा हुआ है, जिससे मांग के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा हो गई.
उन्होंने बताया कि नवरात्र का त्योहार शुरू होने के कारण प्याज की खपत भी कम हो गई है, जिससे कीमतों में स्थिरता है. हालांकि दिल्ली-एनसीआर की सब्जियों की दुकानों में प्याज का खुदरा मूल्य अभी भी 50 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर ही है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि बाजार में प्याज की निरंतर उच्च कीमत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए व्यापारियों पर स्टॉक सीमा लागू करने, निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे कई कदम उठाए और राज्य सरकारों से छापा मारने सहित व्यापारियों द्वारा जमाखोरी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा.
मंत्रालय ने कहा, "केंद्र सरकार ने आज एक त्वरित कार्रवाई में बाजार में स्टॉक को जारी करने को सुगम बनाने और व्यापारियों द्वारा जमाखोरी को रोकने के लिए प्याज व्यापारियों पर स्टॉक सीमाएं लगा दीं. पूर्व में, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्टॉक सीमाएं लगाने के लिए अधिकृत किया था. इस बार, केंद्र सरकार ने भारत भर के राज्यों पर सीधे स्टॉक सीमा लगाने का फैसला किया है. आज देश भर में खुदरा व्यापारियों पर 100 कुंटल और थोक व्यापारियों पर 500 कुंटल की स्टॉक सीमा लगाई गई है."
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मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे कि घरेलू उपलब्धता में सुधार आ सके.
इससे पहले 13 सितंबर, 2019 को प्याज के निर्यात पर 850 डॉलर (एफ.ओ.बी) प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया गया था. मंत्रालय ने कहा कि हालांकि इसके बाद प्याज के निर्यात में कुछ कमी आई, फिर भी निर्यात अभी भी जारी था. प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से घरेलू उपलब्धता और प्याज की कीमतों में सुधार आने की उम्मीद है.
बांग्लादेश और श्रीलंका को न्यूनतम निर्यात मूल्य से नीचे के कथित निर्यात को तुरंत रोक दिया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि जो केंद्र सरकार के इस फैसले का उल्लंघन करते पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मंत्रालय के अनुसार, रबी 2019 सीजन के दौरान नाफेड के माध्यम से सरकार द्वारा लगभग 56,700 टन का बफर स्टॉक बनाया गया था. इस बफर स्टॉक का उपयोग 23.90 प्रति किलोग्राम की दर पर दिल्ली को आपूर्ति के लिए किया जा रहा है.
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हरियाणा और आंध्र प्रदेश को भी बफर से आपूर्ति की जा रही है. अन्य राज्यों को भी इस बफर का उपयोग करने के लिए कहा गया है.