रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित और आदिवासी इलाकों में महुआ ग्रामीणों के लिए आय का मजबूत जरिया रहा है. खनन के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और नक्सलवाद ने वनांचल में रहने वाले आदिवासियों के लिए मुश्किलें भी पैदा की, लेकिन इन मुश्किलों के बीच अब एक नई तस्वीर उभरी है. आदिवासियों की जिंदगी में अब खुशहाली आने वाली है.
महुआ से खास किस्म की शराब बनाने की योजना
वनांचल बस्तर समेत देश के कई इलाकों में लोग सैकड़ों सालों से महुआ से शराब बना रहे हैं. हालांकि, इस शराब को लोग निचले या खराब स्तर का मानते हैं, लेकिन अब इसी महुआ से बनी शराब अब अच्छी कीमतों पर महंगे बार और पब में बेची जा रही है. गोवा के रहने वाले डेसमंड नजारेथ बीते कई वर्षों से इस दिशा में काम कर रहे हैं. वे गन्ना और महुआ से खास किस्म की शराब बना रहे हैं.
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आंध्र प्रदेश में बनेगीबस्तर के महुएसे शराब
डेसमंड अपने आंध्र प्रदेश स्थित डिस्टलरी में बस्तर से महुआ लाने की प्लानिंग कर रहे हैं. इसे लेकर वे बस्तर ग्रामीणों से मुलाकात कर रहे हैं. डेसमंड ने बताया कि, बस्तर में पैदा होने वालामहुआ बेहद उच्च गुणवत्ता वाली है. बस इसे इकट्ठा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है.
अन्य देशों में निर्यात की तैयारी
डेसमंड को अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए भारत में कर्नाटक और गोवा में अनुमति मिली हुई है. अब वे उत्पादन बढ़ाकर बस्तर की महुआ से बने शराब को अमेरिका और यूरोपीय देशों तक पहुंचाना चाह रहे हैं. डेसमंड ने बताया कि, उनके प्रयास से महुआ की शराब जिसे अब तक घटिया स्तर का माना जाता है, उसे अब स्टैंडर्ड का माना जाएगा.
महुआ से बनेगी दुनिया की बेहतरीन शराब
डेसमंड बताते हैं, आदिवासी सैकड़ों सालों से महुआ से बनी शराब का इस्तेमाल करते आए हैं. लेकिन इसे बनाने के तरीके परिष्कृत नहीं होने के कारण इसमें अल्कोहल की मात्रा मानक से ज्यादा होतीथीऔर कई बार इसके दुष्परिणाम भी सामने आए थे, लेकिन विज्ञान और तकनीकी का इस्तेमाल कर इससे दुनिया की बेहतरीन शराब बनाई जा सकती है.
बदलेगी आदिवासियों की आर्थिक स्थिति
महुआ का उत्पादन बस्तर में व्यापक पैमाने पर होताहै. यहां के स्थानीय लोग जंगलों से महुआ इक्ट्ठा करते हैं और पास के बाजारों में बेचते हैं. इसके बदले उन्हें खाने के लिए आनाज, नमक के साथ ही अन्य जरूरत की चीजें मिल जाती है, लेकिन जितनी मेहनत ग्रामीण इसे बाजार तक लाने में करते हैं. उसके बदले उन्हें इसका दाम नहीं मिल पाता है. महुआ व्यापारी ग्रामीणों से 10 से 12 रुपये प्रति किलो की दर से महुआ खरीदता है और बाद में इसी महुआ को वो ऊंचे दाम में बड़े शहरों में बेच देता है.
45 से 50 रुपये किलो महुआ खरीदने की योजना
डेसमंड बताते हैं कि, वे सीधे ग्रामीणों से महुआ खरीदने की योजना बना रहे हैं और इसके एवज में ग्रामीणों को वे 45 से 50 रुपए कीमत ऑफर कर सकते हैं. साथ ही महुआ को कैसे साफ-सुथरे ढंग से इकट्ठा किया जाए ताकी उसकी गुणवत्ता खराब न हो इसकी ट्रेनिंग भी ग्रामीणों को दे रहे हैं. ऐसे में उम्मीद लगाई जा सकती है कि महुआ बस्तर के आदिवासियों की कमाई का बड़ा जरिया बन सकता है.