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खाने के तेल की महंगाई पर गंभीर हुई सरकार, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन की तैयारी तेज

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से एनएमईओ की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है. एनएमईओ के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लांच किया जाएगा और अगले वित्त वर्ष में इसे अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

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खाने के तेल की महंगाई पर गंभीर हुई सरकार, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन की तैयारी तेज

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Published : Jan 11, 2020, 1:29 PM IST

नई दिल्ली: खाने के तेल की महंगाई को लेकर गंभीर हुई मोदी सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) की तैयारी तेज कर दी है. खाद्य तेल आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार मिशन मोड में काम करने जा रही है और जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लांच करने वाली है.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से एनएमईओ की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है. एनएमईओ के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लांच किया जाएगा और अगले वित्त वर्ष में इसे अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले महीने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा था कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लाने जा रही है, जिस पर अमल किए जाने पर तेल आयात पर देश की निर्भरता घटने लगेगी.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एनएमईओ के तहत सरकार ने वर्ष 2024-25 तक खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन तकरीबन 100 लाख टन से बढ़ाकर 180 लाख टन करने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तिलहन फसलों का रकबा अगले पांच साल में बढ़ाकर 300 लाख हेक्टेयर से ज्यादा किया जाएगा. सरकार एक तरफ तिलहनों की उत्पादकता में 50 फीसदी वृद्धि करना चाहती है तो दूसरी तरफ खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत में करीब तीन किलोग्राम की कमी करने का लक्ष्य है.

ये भी पढ़ें:भारत की कच्चा तेल मांग वृद्धि 2020 के मध्य तक चीन से अधिक होने का अनुमान: आईईए

देश में तिलहनों का कुल उत्पादन इस समय तकरीबन 300 लाख टन होता है जिसे अगले पांच साल में बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य है.

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार खाद्य तेल आयात में कमी लाकर विदेशी मुद्रा की बचत करना चाहती है.

देश के खाद्य तेल उद्योग को एनएमईओ लांच होने का इंतजार है. उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा, "हमलोग काफी समय से इसकी मांग करते रहे हैं और जब यह लांच होगा हमलोग तहे दिल से इसका स्वागत करेंगे."

एसईए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बी. वी. मेहता ने बताया कि देश में सालाना खाद्य तेल के आयात पर तकरीबन 75,000 करोड़ रुपये खर्च होता है.

सूत्रों ने कहा कि ऐसे में सरकार ने एनएमईओ के तहत जिस मिशन मोड में तेल और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने लक्ष्य रखा है, उससे खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम होने से आयात बिल घटना स्वाभाविक है.

पिछले तेल-तिलहन सीजन 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान भारत ने 149.13 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जबकि इससे एक साल पहले 2017-18 के दौरान खाद्य तेल का आयात 145.16 लाख टन हुआ था. कुल वनस्पति तेल (खाद्य एवं अखाद्य तेल) का आयात 2018-19 में 155.49 लाख टन हुआ था जबकि एक साल पहले 2017-18 के दौरान कुल वनस्पति तेल का आयात 150.02 लाख टन हुआ था.

भारत खाद्य तेल के कुल आयात का तकरीबन 65 फीसदी पाम तेल आयात करता है. पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से होता है जहां बायोडीजल में पाम तेल के उपयोग की अनिवार्यता लागू होने से आयात महंगा हो गया है, जिससे भारत में तमाम खाद्य तेल महंगे हो गए हैं.
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से एनएमईओ की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है. एनएमईओ के विजन दस्तावेज को मंजूरी मिलने के बाद इसे लांच किया जाएगा और अगले वित्त वर्ष में इसे अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले महीने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा था कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लाने जा रही है, जिस पर अमल किए जाने पर तेल आयात पर देश की निर्भरता घटने लगेगी.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एनएमईओ के तहत सरकार ने वर्ष 2024-25 तक खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन तकरीबन 100 लाख टन से बढ़ाकर 180 लाख टन करने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तिलहन फसलों का रकबा अगले पांच साल में बढ़ाकर 300 लाख हेक्टेयर से ज्यादा किया जाएगा. सरकार एक तरफ तिलहनों की उत्पादकता में 50 फीसदी वृद्धि करना चाहती है तो दूसरी तरफ खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत में करीब तीन किलोग्राम की कमी करने का लक्ष्य है.

देश में तिलहनों का कुल उत्पादन इस समय तकरीबन 300 लाख टन होता है जिसे अगले पांच साल में बढ़ाकर करीब 480 लाख टन करने का लक्ष्य है.

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार खाद्य तेल आयात में कमी लाकर विदेशी मुद्रा की बचत करना चाहती है.

देश के खाद्य तेल उद्योग को एनएमईओ लांच होने का इंतजार है. उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल चतुर्वेदी ने कहा, "हमलोग काफी समय से इसकी मांग करते रहे हैं और जब यह लांच होगा हमलोग तहे दिल से इसका स्वागत करेंगे."

एसईए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बी. वी. मेहता ने बताया कि देश में सालाना खाद्य तेल के आयात पर तकरीबन 75,000 करोड़ रुपये खर्च होता है.

सूत्रों ने कहा कि ऐसे में सरकार ने एनएमईओ के तहत जिस मिशन मोड में तेल और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने लक्ष्य रखा है, उससे खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम होने से आयात बिल घटना स्वाभाविक है.

पिछले तेल-तिलहन सीजन 2018-19 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान भारत ने 149.13 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जबकि इससे एक साल पहले 2017-18 के दौरान खाद्य तेल का आयात 145.16 लाख टन हुआ था. कुल वनस्पति तेल (खाद्य एवं अखाद्य तेल) का आयात 2018-19 में 155.49 लाख टन हुआ था जबकि एक साल पहले 2017-18 के दौरान कुल वनस्पति तेल का आयात 150.02 लाख टन हुआ था.

भारत खाद्य तेल के कुल आयात का तकरीबन 65 फीसदी पाम तेल आयात करता है. पाम तेल का आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से होता है जहां बायोडीजल में पाम तेल के उपयोग की अनिवार्यता लागू होने से आयात महंगा हो गया है, जिससे भारत में तमाम खाद्य तेल महंगे हो गए हैं.

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