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लॉकडाउन के बाद खूब सस्ते हुए सूखे मेवे, दाम 20 प्रतिशत तक टूटे - दाम 20 फीसद तक टूटे

फैडरेशन आफ किराना एंड ड्राईफ्रूट कमर्शियल एसोसिएशन (अमृतसर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मेहरा ने बताया, "सभी सूखे मेवों यानी ड्राई फ्रूट के दाम टूटे हैं, चाहे वह काजू हो, पिस्ता हो या छुआरा हो. लेकिन सबसे अधिक गिरावट अमेरिकन बादाम गिरी में आई है."

लॉकडाउन के बाद खूब सस्ते हुए सूखे मेवे, दाम 20 प्रतिशत तक टूटे
लॉकडाउन के बाद खूब सस्ते हुए सूखे मेवे, दाम 20 प्रतिशत तक टूटे

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Published : Jun 16, 2020, 3:47 PM IST

जयपुर: इसे अमेरिका और चीन में मौजूदा खींचतान का नतीजा कहें या लॉकडाउन के कारण मांग में आई कमी, बाजारों में सूखे मेवों के दाम बीते तीन महीने में 20 फीसद तक टूट गए हैं. चाहे वह बादाम हो, काजू हो या पिस्ता.

ऐसे समय में जबकि बाकी चीजों के दाम बढ़ने के समाचार आ रहे हैं, पौष्टिकता के लिहाज से सबसे महंगा सौदा माने जाने वाले बादाम व अन्य सूखे मेवे 200 रूपये प्रति किलो तक सस्ते हुए हैं.

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फैडरेशन आफ किराना एंड ड्राईफ्रूट कमर्शियल एसोसिएशन (अमृतसर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मेहरा ने बताया, "सभी सूखे मेवों यानी ड्राई फ्रूट के दाम टूटे हैं, चाहे वह काजू हो, पिस्ता हो या छुआरा हो. लेकिन सबसे अधिक गिरावट अमेरिकन बादाम गिरी में आई है."

उन्होंने बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाली बादाम गिरी जो दो महीने पहले 700 रुपये प्रति किलो तक थी अब 550 रुपये या इससे भी कम हो गयी है.

जयपुर में दिल्ली ट्रेडिंग कंपनी के शैलेंद्र भाटिया के अनुसार, "थोक बाजार में दाम 15 से 20 प्रतिशत कम हुए हैं. जैसे अच्छी गुणवत्ता वाला बादाम जो 690 से 800 रुपये था, वह अब 500 से 700 रुपये किलो बिक रहा है. इसी तरह काजू चार टुकड़ा 550 रुपये से घटकर 400 रुपये प्रति किलो हो गया है. पिस्ता की बात की जाए तो अच्छी गुणवत्ता वाला पिस्ता जो 1200 रुपये था अब 1000 रुपये किलो तक बिक रहा है यानी 200 रुपये की गिरावट आई है."

कारोबारियों के अनुसार सूखे मेवों में सबसे अधिक गिरावट बादाम, काजू व पिस्ता में आई है. अखरोट, अंजीर, किशमिश जैसी बाकी मेवों के दाम में ज्यादा फर्क नहीं है.

कारोबारियों का मानना है कि दाम में बड़ी कमी की प्रमुख वजह लॉकडाउन है.

मेहरा के अनुसार दो महीने तो बाजार खुले ही नहीं तो जो आयात किया हुआ मॉल था वह बिक नहीं पाया. मांग और आपूर्ति का समीकरण गड़बड़ा गया तो दाम घट गए. सूखे मेवों की सबसे अधिक खपत मिठाइयों, होटल उद्योग, शादी विवाह में होती है.

उनका कहना था कि लॉकडाउन के कारण दो महीने तक न तो मिठाइयां बनीं, न होटल खुले न शादी विवाह हुए तो मेवे खरीदता कौन? अब गर्मी आ गई तो वैसे ही बिक्री कम रहेगी.

उल्लेखनीय है कि बादाम और किशमिश को छोड़कर दूसरे सूखे मेवों की तासीर गर्म होती है इसलिए ये सर्दियों में ही अधिक खाए जाते हैं. गर्मियों में तो इनका इस्तेमाल मिठाइयों, आइसक्रीम उद्योग में अधिक होता है.

जयपुर किराना एंड ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल के अनुसार, बादाम गिरी के दाम में गिरावट की एक बड़ी वजह अमेरिका व चीन में जारी खींचतान भी है. अमेरिकी बादाम के दो बड़े आयातक चीन व भारत हैं. कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अमेरिका से खींचतान के बाद चीन अब उससे बादाम नहीं खरीद रहा तो अमेरिकी बाजार में भी इसके दाम टूट गए हैं.

मेहरा के अनुसार, कैलिफोर्निया में बादाम गिरी के दाम 2.35 डालर पौंड से घटकर 1.50 डालर पौंड रह गए हैं इससे भी घरेलू बाजार में दाम कम हुए हैं.

जहां तक बिक्री का सवाल है तो शैलेंद्र भाटिया के अनुसार दो महीने तो लॉकडाउन के कारण बिक्री हुई नहीं और अब भी 20- 25 प्रतिशत बिक्री ही हो रही है.

एक अन्य कारोबारी चंद्रशेखर मालपानी के अनुसार लॉकडाउन व आफ सीजन के कारण सूखे मेवों की बिक्री घटकर आधी रह गयी है.

(पीटीआई-भाषा)

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