नई दिल्ली: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण के लिये बनाये जाने वाले कानून के लिये तैयार विधेयक के मसौदा में सरकारी एजेंसियों को क्रेडिट स्कोर, कर्ज वसूली और सुरक्षा से जुड़े मामलों में बिना डेटा मालिक के सहमति के आंकड़ों का प्रसंस्करण करने की छूट दिये जाने का प्रावधान किया गया है.
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 का मसौदा कंपनियों को बिना सहमति के व्यक्तिगत आंकड़ों का प्रसंस्करण और उनके संग्रहण से रोकता है. विधेयक को अगले कुछ दिनों में लोकसभा में पेश किया जा सकता है.
हालांकि, यह प्रस्तावित कानून कुछ "उचित उद्देश्यों" के लिए आंकड़ों के प्रसंस्करण की छूट देता है. इनमें धोखाधड़ी समेत अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों का पता लगाना और रोकना, विलय एवं अधिग्रहण, नेटवर्क एवं सूचना की सुरक्षा, क्रेडिट स्कोर, कर्ज की वसूली, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध व्यक्तिगत आंकड़ों के प्रसंस्करण और सर्च इंजन का संचालन शामिल हैं.
इस कानून में बच्चों के व्यक्तिगत एवं संवेदनशील आंकड़ों के प्रसंस्करण को लेकर नियमों को कड़ा किया गया है जबकि 'महत्वपूर्ण' निजी डेटा या आंकड़ों को भारत में रखे जाने को अनिवार्य बनाया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते इस विधेयक को मंजूरी दी है.