नई दिल्ली: सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपये की कर्ज सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सुधारों को लागू करने की पूर्व शर्तें रखी हैं. इसमें बिल संग्रहण प्रणाली को डिजिटल रूप देना और बेहतर बिल व्यवस्था के लिये स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना शामिल है. इसके अलावा वितरण कंपनियां मीटर की तस्वीर भेजकर या एसएमएस के जरिये 'रीडिंग' भेजकर ग्राहकों को बिजली उपयोग के स्व-आकलन की सुविधा भी उपलब्ध कराएंगी.
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और आरईसी लि. द्वारा 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज की पहली किस्त की मंजूरी और उसे जारी करने को लेकर ये कुछ पूर्व-शर्तें हैं, जिनका पालन वितरण कंपनियों को करना होगा. वित्त मंत्री निमला सीतारमण ने पिछले सप्ताह वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये के नकदी पैकेज की घोषणा की थी.
वित्त पोषण 45,000-45,000 करोड़ रुपये के दो चरणों में किया जाएगा. इसके अलावा दूसरी किस्त के लिये वितरण कपनियों को बिजली आपूर्ति की लागत और प्राप्त आय के बीच अंतर को कम करने और सकल तकनीकी व वाणिज्यिक नुकसानों की भी कम करने की जिम्मेदारी दी गयी है.
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि पीएफसी के निदेशक मंडल ने वितरण कंपनियों को दो किस्तों में कर्ज जारी किये जाने को लेकर 16 अप्रैल को पूर्व शर्तों को मंजूरी दी थी. सूत्र ने कहा कि बिल संग्रह के डिजिटलीकरण के उपबंध और स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिल दक्षता बेहतर होगी. वितरण कंपनियां इस समय नकदी की समस्या और नुकसान से जूझ रही हैं.
उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरूआत में सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी इफीशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएएल) ने कहा कि स्मार्ट मीटर के उपयोग से वितरण कंपनियों की बिलिंग दक्षता बेहतर होगी और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी 'लॉकडाउन' (बंद) से प्रति ग्राहक मासिक आय में 15 से 20 प्रतिशत की वद्धि होगी. बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाली ईईएसएल देश में स्मार्ट मीटर लगाने के कार्यकम को क्रियान्वयित कर रही है.