मुंबई: कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट तथा अदृश्य मदों से प्राप्तियां बढ़ने से चालू वित्त वर्ष की पहली (अप्रैल-जून) तिमाही में देश का चालू खाते का घाटा (कैड) कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दो प्रतिशत या 14.3 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को यह जानकारी दी.
एक साल पहले समान तिमाही में कैड 2.3 प्रतिशत या जीडीपी का 15.8 अरब डॉलर था. अवधि विशेष में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और भुगतान के बीच अंतर को कैड कहा जाता है.
रिजर्व बैंक ने कहा कि सालाना आधार पर कैड में कमी की मुख्य वजह अदृश्य मदों से ऊंची प्राप्तियां हैं. इस दौरान यह 31.9 अरब डॉलर रहीं, जो एक साल पहले समान तिमाही में 29.9 अरब डॉलर थीं. पहली तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 13.9 अरब डॉलर रहा.
इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 9.6 अरब डॉलर था. तिमाही के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के रूप से शुरू रूप से 4.8 अरब डॉलर का निवेश आया. 2018-19 की पहली तिमाही में इसमें 8.1 अरब डॉलर की निकासी हुई थी.
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बाह्य वाणिज्यिक कर्ज के रूप में शुद्ध प्रवाह 6.3 अरब डॉलर रहा था. एक साल पहले समान तिमाही में इसमें 1.5 अरब डॉलर बाहर गए थे. सालाना आधार शुद्ध सेवा प्राप्तियां 7.3 प्रतिशत बढ़ीं। यात्रा, वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं से आमदनी बढ़ने से इसमें वृद्धि हुई है.
रिजर्व बैंक ने कहा कि पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 14 अरब डॉलर बढ़ गया. 2018-19 की पहली तिमाही में यह 11.3 अरब डॉलर घटा था. रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कैड में कमी को एक 'आश्चर्य जनक रूप से सकारात्मक' रुझान बताया.
नायर ने कहा कि दो प्रतिशत के साथ कैड उम्मीद से कम रहा है. प्राथमिक आय का बाह्य प्रवाह कम रहने से यह हासिल हुआ है. इसके अलावा सेवाओं के अधिशेष में बेहतर वृद्धि और द्धितीयक आय में बढ़ोतरी के अलावा कच्चे तेल के दाम नीचे आने से कैड में कमी आई है.
हालांकि, सोने का आयात बढ़ा है. तिमाही के दौरान सोने का आयात 35.6 प्रतिशत बढ़कर 11.4 अरब डॉलर पर पहुंच गया. एक साल पहले समान अवधि में यह 8.4 अरब डॉलर था. इक्रा का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में पूरे साल के दौरान कैड जीडीपी का 1.8 प्रतिशत या 52 अरब डॉलर रहेगा. इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में यह 57.2 अरब डॉलर या 2.1 प्रतिशत रहा था.