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बिना वैध मंजूरी के गूगल पे कैसे काम कर रहा है: अदालत

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि गूगल पे (जी पे) भुगतान एवं निपटान कानून का उल्लंघन कर भुगतान प्रणाली सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है.

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Published : Apr 10, 2019, 2:17 PM IST

कॉन्सेप्ट इमेज।

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पूछा कि गूगल का मोबाइल भुगतान एप जी पे बिना जरूरी मंजूरी के कैसे वित्तीय लेन-देन में मदद कर रहा है. मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश ए जे भामभानी की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आरबीआई से उक्त सवाल पूछा.

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि गूगल पे (जी पे) भुगतान एवं निपटान कानून का उल्लंघन कर भुगतान प्रणाली सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है. इसमें कहा गया है कि उसके पास भुगतान सेवा प्रदाता के रूप में काम करने को लेकर केंद्रीय बैंक से वैध मंजूरी प्राप्त नहीं है.

अदालत ने आरबीआई और गूगल इंडिया को नोटिस जारी कर अभिजीत मिश्र की याचिका में उठाये गये मुद्दे पर उनका रुख पूछा है.

याचिका में दलील दी गयी है कि आरबीआई की अधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालकों की सूची में जी पे का नाम नहीं है. केंद्रीय बैंक ने यह सूची 20 मार्च 2019 को जारी की थी.
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