नई दिल्ली : वित्त मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में सोमवार को 'क्रिप्टोफाइनेंस' (cryptofinance) से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई. चर्चा के दौरान उद्योग जगत के विशेषज्ञों और संघों के विचारों को सुना गया. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों ने बताया कि क्रिप्टोफाइनेंस पर चर्चा के दौरान एक आम राय देखी गई कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसे विनियमित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस बात पर आम सहमति थी कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए. हालांकि, उद्योग संघों और हितधारकों को यह स्पष्ट नहीं था कि क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक कौन होना चाहिए.
स्थायी संसदीय समिति की बैठक में सांसदों द्वारा व्यक्त की गई सबसे गंभीर चिंता निवेशकों के पैसे की सुरक्षा थी. सूत्रों ने कहा कि एक सांसद ने राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ के क्रिप्टो विज्ञापनों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के लिए सुरक्षित है.
एक सांसद ने बैठक में कहा कि अल-साल्वाडोर एकमात्र ऐसा देश है जिसने क्रिप्टोकुरेंसी को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता दी है. एक सदस्य ने एक विज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि करोड़ों भारतीयों ने क्रिप्टो-एसेट्स में 600,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.
वित्त मामलों की स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जयंत सिन्हा हैं. इसने 'क्रिप्टोफाइनेंस : अवसर और चुनौतियां' विषय पर संघों और उद्योग के विशेषज्ञों के विचार सुने.
समिति के सदस्य अब चाहते हैं कि सरकारी अधिकारी समिति के सामने पेश हों और उनकी चिंताओं का समाधान करें.