नई दिल्ली: डेटा ऐनालिटिक्स और विभिन्न एजेंसियों के सूचनाओं को साझा करने के बाद राजस्व अधिकारियों ने 1,300 से अधिक निर्यातकों से 1,875 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता लगाया है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की एक जांच से पता चला है कि 1,377 निर्यातकों ने आईजीएसटी रिफंड के रूप में 1,875 करोड़ रुपये का धोखाधड़ी किया है.
कुल 1,377 निर्यातकों ने धोखे से आईजीएसटी रिफंड की राशि का दावा किया है. वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 1,875 करोड़ उनके व्यवसाय के प्रमुख स्थान पर अप्राप्त हैं. ये सामान्य निर्यातक नहीं हैं, क्योंकि उनमें से कुछ को सरकार द्वारा स्टार निर्यातकों के रूप में मान्यता दी गई है जो किसी भी निर्यातक के लिए एक प्रतिष्ठित टैग.
ये भी पढ़ें-कोविड-19: इंडिगो ने एक यात्री के लिए दो सीटें बुक करने का विकल्प पेश किया
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, "जोखिम भरे निर्यातकों की संख्या में स्टार निर्यातकों के रूप में मान्यता प्राप्त 7 निर्यातक भी शामिल हैं."
नाम ना बताने का अनुरोध करते हुए एक सूत्र ने बताया कि तीन अन्य स्टार निर्यातकों पर भी प्रतिकूल रिपोर्ट मिली है. इन 10 स्टार निर्यातकों ने धोखाधड़ी करते हुए आईजीएसटी रिफंड की राशि 28.9 करोड़ रुपये होने का दावा किया है.
मामले से परिचित लोगों के अनुसार अधिकारियों ने कुल 7,516 निर्यातकों को जोखिम वाले निर्यातकों के रूप में पहचाना और उन्हें ऐसे निर्यातकों की आधिकारिक सूची में शामिल किया.
इन 7,516 निर्यातक जोखिम वाली निर्यातक सूची में हैं. इनमें से 2,830 जोखिमपूर्ण निर्यातकों के 1,363 करोड़ रुपये के आईजीएसटी रिफंड या ड्रॉबैक निलंबित कर दिया गया है. सूत्र ने कहा कि 2,197 अन्य जोखिम भरे निर्यातकों के संबंध में प्रतिकूल रिपोर्ट भी प्राप्त हुई है.
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ निर्यातक तीनों श्रेणियों में सामान्य हो सकते हैं. जिन निर्यातकों की धोखाधड़ी के लिए पहचान की गई है. अन्य निर्यातक जिनके आईजीएसटी रिफंड, कमियां हैं, उन्हें निलंबित कर दिया गया है और तीसरी श्रेणी के जोखिम भरे लोगों के खिलाफ अधिकारियों ने प्रतिकूल रिपोर्ट प्राप्त की है.