नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया गया है कि कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के कारण विशेष रूप से विकासशील दुनिया में हाशिये के लोगों के बीच खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और गरीबी बढ़ सकती है.
आईएफपीआरआई ने मंगलवार को जारी वर्ष 2020 की 'ग्लोबल फूड सिस्टम रिपोर्ट' में कहा है कि नीति निर्माताओं को एक अधिक मजबूत, परिस्थितिकी अनुकूल , समावेशी और स्वस्थ भोजन प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो लोगों को इस प्रकार के झटकों का सामना करने में मदद कर सके.
पिछले साल दिसंबर में चीन में इसके फैलने के बाद से दुनिया भर में 13 लाख से अधिक लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए हैं. यूरोप में 50,000 से अधिक और अमेरिका में 10,000 से अधिक लोगों की मौत सहित इस संक्रमण से 70,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में अब तक इस संक्रमण के पुष्ट मामलों की संख्या 4,421 है जिसमें अभी तक 114 लोगों की मौत हो चुकी है.
आईएफपीआरआई के महानिदेशक जोहान स्वाइनन ने कहा, "कोविड -19 के प्रसार ने हमें यह दिखाया है कि वैश्विक झटकों से हमें कितना नुकसान हो सकता है."
उन्होंने कहा कि खाद्य प्रणाली हमें खाद्य और पोषण सुरक्षा में सुधार लाने, आय सृजित करने और समावेशी आर्थिक विकास करने के अवसर प्रदान करती है, लेकिन समृद्ध समय में भी कई लोग इन लाभों से वंचित हैं. ऐसी किसी समस्या या कोई अन्य समस्या के लिए खाद्य प्रणाली का व्यापक रूप से समावेशी होना कोई रामबाण उपाय नहीं है, बल्कि हमारे प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करने का यह महत्वपूर्ण अंग है.