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कोविड-19: फिक्की ने विमानन उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की - कोविड 19

फिक्की ने कहा है कि इसके अलावा विमानन क्षेत्र को छह माह तक मियादी ऋण भुगतान से छूट, पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की ओर से 180 दिन की ऋण सुविधा और विमान के बीमा प्रीमियम की छूट दी जानी चाहिए. उद्योग मंडल ने इसके साथ ही सरकार से कहा है कि जब तक सभी राज्य लॉकडाउन को पूरी तरह खोल नहीं देते हैं विमानन कंपनियों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

कोविड-19: फिक्की ने विमानन उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की
कोविड-19: फिक्की ने विमानन उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की

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Published : Apr 18, 2020, 3:43 PM IST

मुंबई: उद्योग मंडल फिक्की ने कोविड-19 की वजह से संकट में फंसे घरेलू विमानन उद्योग के लिए राहत पैकेज की मांग की है. फिक्की ने सरकार से घरेलू विमानन उद्योग को नकद सहायता, ब्याज मुक्त सस्ता कर्ज और दो साल का कर अवकाश देने की मांग की है.

फिक्की ने कहा है कि इसके अलावा विमानन क्षेत्र को छह माह तक मियादी ऋण भुगतान से छूट, पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की ओर से 180 दिन की ऋण सुविधा और विमान के बीमा प्रीमियम की छूट दी जानी चाहिए. उद्योग मंडल ने इसके साथ ही सरकार से कहा है कि जब तक सभी राज्य लॉकडाउन को पूरी तरह खोल नहीं देते हैं विमानन कंपनियों को परिचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

फिक्की ने कहा कि सेवाओं की आंशिक बहाली से घरेलू विमानन कंपनियों का वित्तीय बोझ और बढ़ेगा. फिक्की की विमानन समिति के चेयरमैन एवं एयरबस इंडिया और दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आनंद स्टेनली ने नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला को भेजी अपनी सिफारिशों में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी से विमानन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. ज्यादातर वाणिज्यिक उड़ानें पूरी तरह बंद है. इससे एयरलाइंस से लेकर हवाईअड्डों तक सभी अंशधारकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, "कोविड-19 की वजह से विमानन उद्योग को काफी बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है. दुनियाभर में यात्रा पर रोक की वजह से विमानन उद्योग के पास नकदी का भंडार समाप्त हो रहा है. उनके सभी विमान पिछले करीब एक महीने से खड़े हैं."

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उन्होंने कहा कि कई एयरलाइन कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर हैं. स्टेनली ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) का अनुमान है कि भारत में विमानन गतिविधियों में लगे क्षेत्रों में 30 लाख नौकरियां जोखिम में पड़ गई हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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