नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने दो पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के बीच छह महीने का अंतर और किसी सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनी के साथ विलय की स्थिति में एक कंपनी की सूचीबद्धता समाप्त करने के संदर्भ में नियमों में प्रस्तावित ढील पर सार्वजनिक टिप्पणी अथवा सुझाव दिये जाने की समय सीमा बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी है.
इससे पहले, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इन दोनों प्रस्तावों पर 15 अप्रैल तक टिप्पणी देने को कहा था.
इसके अलावा सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा दी जाने वाली ई-वोटिंग सुविधा के प्रस्ताव के साथ प्रवर्तक इकाइयों को कर्ज या किसी प्रकार की गारंटी देने से पहले शेयरधारकों से मंजूरी लेने के प्रस्ताव पर टिप्पणी देने की समयसीमा भी बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी गयी है. इन दोनों प्रस्तावों पर टिप्पणी 31 मार्च तक मांगी गयी थी.
नियामक ने 31 मार्च को एक रिपोर्ट में कहा, "कोरोना वायरस महामारी के कारण समयसीमा बढ़ाने के बारे में मिले आग्रह को देखते हुए विभिन्न परिचर्चा पत्रों पर टिप्पणी लेने की समयसीमा बढ़ाने का निर्णय किया गया है....ये सुझाव अब 30 अप्रैल 2020 तक दिये जा सकते हैं."
क्यूआईपी के संदर्भ में सूचीबद्ध कंपनियों के तत्काल कोष की जरूरत की स्थिति में कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करने पर पात्र संस्थागत निवेशकों को दो बार सार्वजनिक निर्गम जारी किये जाने के बीच छह महीने के अनिवार्य अंतर की जरूरत के प्रावधान में ढील देने का प्रस्ताव है.
मौजूदा निययों के तहत सूचीबद्ध कंपनियां पहले पात्र संस्थागत नियोजन के छह महीने के अंतर पर ही दूसरा क्यूआईपी जारी कर सकती हैं.
सूचीबद्धता समाप्त करने के संदर्भ में पूंजी बाजार नियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों को उस परिस्थिति में नियमों के अनुपालन से छूट देने का प्रस्ताव किया है जब उनका किसी दूसरी सूचीबद्ध होल्डिंग कंपनी में विलय होता है और उस अनुषंगी इकाई के शेयरधारकों को मूल कंपनी के शेयर प्राप्त हो जाते हैं.