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कोविड से प्रभावित व्यापारियों की मदद के लिए कैट ने वित्त मंत्री सीतारमण से किया आग्रह - निर्मला सीतारमण

कैट ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में देश भर के व्यापारियों के लिए ने तत्काल वित्तीय राहत उपायों और जीएसटी और आयकर के तहत विभिन्न वैधानिक देय तारीखों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है.

CAIT urges Finance Minister Sitharaman to help Covid affected traders
CAIT urges Finance Minister Sitharaman to help Covid affected traders

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Published : May 7, 2021, 8:05 PM IST

नई दिल्ली :देश के सभी राज्यों में लॉकडाउन, आंशिक लॉकडाउन, कर्फ्यू, रात्रि कर्फ्यू और इसी तरह की अन्य पाबंदियों के चलते पिछले 40 दिनों में घरेलू व्यापार को लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हुआ है.

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे एक पत्र में देश भर के व्यापारियों के लिए ने तत्काल वित्तीय राहत उपायों और जीएसटी और आयकर के तहत विभिन्न वैधानिक देय तारीखों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है.

कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा हाल ही में जीएसटी एवं आय कर की कुछ तारीखों को आगे बढ़ाने की सराहना करते हुए कहा कि, 'देश में लॉक डाउन के चलते दुकाने एवं मार्केट पूरी तरह से बंद हैं, जिसके कारण उनका धन आना बंद हो गया है, जबकि विभिन्न प्रकार की पारिवारिक और व्यापारिक जरूरतें जिसमें कर्मचारियों को वेतन, दुकानों और गोदामों के किराए सहित विभिन्न खचरें के लिए अपनी पूंजी खाने के लिए मजबूर कर दिया है, जो उनके व्यवसाय के भविष्य के लिए बहुत विनाशकारी है.'

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कैट ने केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारमण से आग्रह किया कि, 'सरकार को कुछ कदम तत्काल उठाने की आवश्यकता है जिससे कुछ समय के लिए व्यापारियों पर से वित्तीय भार और नियमों के पालन का बोझ कम हो सके. वहीं जीएसटी और आयकर के तहत सभी वैधानिक तिथियां जिनके द्वारा या तो कर का भुगतान किया जाना है या रिटर्न दाखिल करना है को 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ाया जाए.'

'जीएसटी के तहत फॉर्म जीएसटीआर -3 बी के स्थान को चालान को कर भुगतान का दस्तावेज माना जाए , इससे करदाता को कर का जल्द भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और सरकार को भी समय पर कर मिलेगा.'

कैट ने यह भी आग्रह किया कि, 'बैंकों को लॉकडाउन की अवधि के लिए व्यापारियों से ऋण पर कोई ब्याज नहीं लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए और छह महीने की का एक मोरोटोरियम अवधि दी जानी चाहिए, जिसमें ऋण की ईएमआई का भुगतान करने या लिए गए ऋणों को चुकता करने पर रोक लगाई जाए.'

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