नई दिल्ली :भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में बड़े स्तर पर पूंजी डालने के अभियान के संदर्भ में जारी प्रदर्शन ऑडिट को लेकर ब्योरा मांगा है.
सूत्रों ने कहा कि कैग 2016-17 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाली गयी पूंजी के बारे में प्रदर्शन ऑडिट को देख रहा है और उसने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग को पत्र लिखा है. पत्र में विभिन्न पीएसबी में पूंजी डालने के औचित्य समेत अन्य जानकारी मांगी गई है.
भारत सरकार ने 2017-18 में पीएसबी में 90,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली, जो अगले साल बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गयी. पिछले वित्त वर्ष में बांड के जरिए 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई.
चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना बनाई है. इसमें से सरकार ने बासेल तीन दिशानिर्देशों के अंतर्गत नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए 2020 में 5,500 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक में डाले.
ऑडिट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सकता है. साथ ही इसमें इस बात का भी आकलन किया जाएगा कि यह कदम किस प्रकार संपत्ति पर रिटर्न (आरओए), इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) और कर्ज वृद्धि की दर जैसे वित्तीय मानदंडों में सुधार लाने में सफल रहा है.
कैग ने जुलाई 2017 में अपनी अंतिम रिपोर्ट में विभिन्न बैंकों को पूंजी दिए जाने के मामले में कमियों को रेखांकित किया था.