नई दिल्ली : राज्य सभा ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने वाले बीमा संशोधन विधेयक को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाई गई शंकाओं को दूर करते हुये कहा कि हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनियों का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के पास चला जायेगा लेकिन इन कंपनियों में निदेशक मंडल और प्रबंधन के महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय लोग ही नियुक्त होंगे और उन पर भारतीय कानून लागू होगा.
बीमा संशोधन विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, देश के कानून अब काफी परिपक्व हैं, देश में होने वाले किसी भी परिचालन को वे नियंत्रण में रख सकते हैं. (कोई भी) इसे (धन को) बाहर नहीं ले जा सकता है और हम देखते नहीं रह सकते हैं.
बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.
बीमा कंपनियों के मामले में ‘नियंत्रण’ की परिभाषा में बदलाव पर उन्होंने कहा, नियंत्रण का मतलब है बहुलांश निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार होना, नीतिगत निर्णय लेने वाले प्रबंधन पर नियंत्रण होना जिसमें कि उनकी शेयरधारिता अथवा प्रबंधन का अधिकार अथवा शेयरधारक समझौता और मतदान समझौते आदि सभी शामिल हैं.
बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाने से उनका नियंत्रण भारतीय कंपनियों के हाथ में रखे जाने का मौजूदा प्रावधान समाप्त हो जायेगा लेकिन विदेशी नियंत्रण के साथ अन्य शर्तें जोड़ी गईं हैं. ऐसी कंपनियों के निदेशक मंडल में बहुलांश निदेशक और महत्वपूर्ण प्रबंधन पदों पर भारतीयों को रखा जायेगा. इसका मतलब यह होगा उन पर भारत का प्रत्येक कानून लागू होगा. कंपनियों को अपना कुछ प्रतिशत मुनाफा सामान्य आरक्षित राशि के रूप में यहां रखना होगा. इसे (बाहर) नहीं ले जाया जा सकता.