नई दिल्ली:फिनटेक फर्म भारतपे के प्रबंध निदेशक अश्नीर ग्रोवर ने आगामी बोर्ड मीटिंग का एजेंडा मिलने के कुछ देर बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बोर्ड मीटिंग के एजेंडा में सलाहकार फर्म पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई पर विचार शामिल है.
भारतपे ने एक बयान में कहा, अश्नीर ग्रोवर ने आगामी बोर्ड बैठक का एजेंडा मिलने के कुछ मिनट बाद भारतपे के प्रबंध निदेशक और बोर्ड निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया. एजेंडा में उनके आचरण के बारे में पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट को प्रस्तुत करना और उसके आधार पर कार्रवाई करने का विचार करना शामिल था. रिपोर्ट के निष्कर्ष के आधार पर बोर्ड के पास कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित है. इस संबंध में ग्रोवर को भेजे गए सवाल का कोई जवाब नहीं मिला. इससे पहले अश्नीर ने 19 जनवरी को एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि मैं 1 मार्च से छुट्टी पर जा रहा हूं.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) की ओर से बोर्ड की जांच को टालने की याचिका खारिज होने के एक दिन बाद अशनीर ग्रोवर ने अपने पद से इस्तीफा दिया. बोर्ड को संबोधित करते हुए अपने इस्तीफे में अशनीर ग्रोवर ने आरोप लगाया कि उन्हें कुछ लोगों के द्वारा टारगेट किया जा रहा था और ऐसा शर्मनाक तरीके से बदनाम करने के लिए किया गया. ग्रोवर ने लिखा कि मैं भारी मन से इस्तीफा लिख रहा हूं क्योंकि मुझे एक कंपनी को अलविदा कहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिसका मैं संस्थापक हूं. मैं फख्र से कहता हूं कि आज यह कंपनी फिनटेक की दुनिया में एक लीडर के रूप में खड़ी है.
भारतपे के खिलाफ ग्रोवर की अर्जी आपात मध्यस्थ ने ठुकराई
वित्तीय प्रौद्योगिकी फर्म भारतपे के सह-संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर को अपने खिलाफ जारी कंपनी की जांच रोकने के लिए दायर मध्यस्थता अर्जी में हार का सामना करना पड़ा है. सूत्रों ने बताया कि ग्रोवर को सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) से कोई राहत नहीं मिली है. मध्यस्थता केंद्र ने कहा है कि भारतपे में शीर्ष प्रबंधन की अनुशंसा पर की जा रही कामकाजी समीक्षा को रोकने का कोई आधार नहीं है. ग्रोवर ने एसआईएसी में दायर अपनी अर्जी में कंपनी के कामकाज के लिए जारी समीक्षा रोकने की मांग करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ की जा रही यह जांच गैरकानूनी है. इस याचिका पर पहली सुनवाई 20 फरवरी को हुई थी.
घटनाक्रम से परिचित सूत्रों ने बताया कि मध्यस्थता केंद्र के आपातकालीन मध्यस्थ ने दो दिन पहले ग्रोवर की सभी मांगों को नकारते हुए कोई भी राहत देने से मना कर दिया है, हालांकि सूत्रों ने कहा कि ग्रोवर मध्यस्थ के इस निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं. हालांकि भारतपे ने इस मामले के न्यायिक सुनवाई का विषय होने से टिप्पणी करने से मना कर दिया। वहीं ग्रोवर से इस पर टिप्पणी के लिए फौरन संपर्क नहीं किया जा सका.