नई दिल्ली:कोरोना महामारी के गम्भीर संकट के बीच इस वर्ष का दिवाली त्यौहार पूरी तरह से एक अलग ही अंदाज में पूरे देश में मनाया गया जिसमें कुछ बहुत ही नवीन विशेषताएं थीं जिनमें चीनी सामानों का पूर्ण बहिष्कार, भारतीय सामानों का बड़े पैमाने पर उपयोग के साथ-साथ भारत में आठ महीने का व्यापार का निर्वासन समाप्त हुआ.
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, रिटेल व्यापार के विभिन्न वर्गों - जिसमें खास तौर पर भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान, उपहार की वस्तुएं, मिठाई-नमकीन, घर का सामान, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियां, फर्नीचर, फिक्सचर ,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट का सामान, मिट्टी के दिए सहित दिवाली पूजा का सामान, सजावटी सामान, हस्तकला की वस्तुएं, वस्त्र, घर द्वार पर लगाने वाले शुभ-लाभ,ओम, देवी लक्ष्मी के चरण आदि अनेक त्यौहारी सीजन वस्तुओं की बिक्री बहुत अच्छी रही.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि, देश के 20 अलग-अलग शहर जो देश भर में सप्लाई चेन के प्रमुख वितरण केंद्र से एकत्रित रिपोटरें के अनुसार दीवाली त्यौहार सीजन बिक्री से देश भर में लगभग 72 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है और चीन को सीधे तौर पर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ.
उन्होंने बताया, हालांकि, उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निदेशरें के बावजूद सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से जिसमें पटाखे की नीति का अभाव मुख्य कारण रहा, जिसके चलते बड़े एवं छोटे तथा बेहद मामूली स्तर के पटाखों के निर्माणकर्ता एवं विक्रेताओं को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ.