मुंबई: रिजर्व बैंक ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र के दो और बैंकों इलाहाबाद बैंक तथा कारपोरेशन बैंक को कमजोर बैंकों की निगरानी सूची से बाहर कर दिया. इसके साथ इन बैंकों पर आगे बढ़कर कर्ज देने समेत अन्य पाबंदियां हट गयी है. निजी क्षेत्र के धनलक्ष्मी बैंक को भी तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा दायरे से बाहर कर दिया गया है.
इससे पहले 31 जनवरी को बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र तथा ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स को पीसीए रूपरेखा से बाहर किया गया था. एक बयान में आरबीआई ने कहा कि वित्तीय निगरानी बोर्ड (बीएफएस) ने पीसीए के तहत बैंकों के कामकाज की समीक्षा की और तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के अंतर्गत रखे गये कुछ बैंकों समेत विभिन्न बैंकों में 21 फरवरी को डाली गयी नकदी पर गौर किया.
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इलाहाबाद बैंक, कारपोरेशन बैंक आरबीआई की कमजोर बैंकों की निगरानी सूची से बाहर
रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो और बैंकों इलाहाबाद बैंक तथा कारपोरेशन बैंक को कमजोर बैंकों की निगरानी सूची से बाहर कर दिया.
इस नकदी में से इलाहाबाद बैंक तथा कारपोरेशन बैंक को क्रमश: 6,896 करोड़ रुपये तथा 9,086 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. केंद्रीय बैंक ने कहा कि पूंजी मिलने से इन बैंकों का पूंजी कोष तथा कर्ज नुकसान के समक्ष प्रावधान बढ़ेगा जिससे पीसीए मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके.
आरबीआई ने कहा, "बीएफएस ने 31 जनवरी 2019 को हुई बैठक में जिन सिद्धांतों को अपनाया था, उसके आधार पर 26 फरवरी 2019 की बैठक में इलाहाबाद बैंक तथा कारपोरेशन बैंक को पीसीए रूपरेखा से बाहर करने का फैसला किया गया. यह कुछ शर्तों तथा निरंतर निगरानी पर निर्भर है.''
कारपोरेशन बैंक का सकल फंसा कर्ज (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) दिसंबर अंत में कुल कर्ज का 17.36 प्रतिशत था जो एक साल पहले इसी महीने में 15.92 प्रतिशत थी. वहीं इलाहाबाद बैंक का सकल एनपीए दिसंबर 2018 में 17.81 प्रतिशत पहुंच गया था जो एक साल पहले इसी महीने में 14.38 प्रतिशत पर था.
रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने धनलक्ष्मी बैंक को भी पीसीए रूपरेखा के दायरे बाहर करने का फैसला किया है. यह कुछ शर्तों और निरंतर निगरानी पर निर्भर है. बैंक को पीसीए रूपरेखा की जोखिम सीमा का पालन करने को देखते हुए यह कदम उठाया गया.
सार्वजनिक क्षेत्र के पांच बैंक यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक तथा देना बैंक अब भी पीसीए रूपरेखा के दायरे में बने हुए हैं. इसके अंतर्गत आने वाले बैंकों पर कर्ज देने पर पाबंदी समेत अन्य प्रतिबंध लग जाते हैं. पीसीए रूपरेखा सरकार तथा आरबीआई के बीच विवाद का मुद्दा रहा है. सरकार चाहती है कि केंद्रीय बैंक पीसीए रूपरेखा को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाये.
(भाषा)