नई दिल्ली : भारत सरकार (Government of India) से अपने बकाया की वसूली के लिए ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी (UK's Cairn Energy PLC) की निगाह अब एयर इंडिया के बाद अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनियों तथा बैकों की संपत्तियों पर है. पिछली तारीख से कर मामले में मध्यस्थता न्यायाधिकरण (arbitration tribunal) ने केयर्न के पक्ष में फैसला दिया है, जिसके बाद उसे भारत सरकार से वसूली करनी है.
कंपनी के एक अधिवक्ता ने कहा कि केयर्न कई देशों में मुकदमा दायर करेगी, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को भारत सरकार पर बकाया 1.2 अरब डॉलर के साथ ब्याज और जुर्माने के भुगतान के लिए जिम्मेदार बनाया जा सके.
पिछले महीने केयर्न ने न्ययॉर्क के दक्षिणी जिले के लिए अमेरिकी जिला अदालत (US District Court) में मुकदमा दायर किया था. केयर्न ने कहा था कि एयर इंडिया पर भारत सरकार का नियंत्रण है. ऐसे में एयरलाइन पर पंचनिर्णय के तहत भुगतान का दायित्व बनता है.
कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रही विधि कंपनी क्विन इमैनुअल उर्कहार्ट एंड सुलिवन के सॉवरेन लिटिगेशन प्रैक्टिस प्रमुख डेनिस हर्निटजकी ने कहा कि कई ऐसे सार्वजनिक उपक्रम हैं, जिनपर हम प्रवर्तक कार्रवाई का विचार कर रहे हैं. प्रवर्तन कार्रवाई जल्द होगी और शायद यह अमेरिका में नहीं हो.