नई दिल्ली : जीएसटी संग्रह में कमी की क्षतिपूर्ति के लिए कुल 21 राज्यों ने 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेने के केंद्र के विकल्प का समर्थन किया है. यह राज्य मुख्य रूप से भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्र को अपने निर्णय के बारे में सूचना दी है, उनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा, पुडुचेरी, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को जीएसटी परिषद को अपने विकल्प के बारे में सूचना देनी है.
सूत्रों ने कहा कि जो राज्य निर्धारित तारीख पांच अक्टूबर, 2020 तक कर्ज विकल्प के बारे में परिषद को सूचना नहीं देंगे, उन्हें क्षतिपूर्ति बकाया प्राप्त करने के लिए जून, 2022 तक इंतजार करना होगा. यह भी इस बात पर निर्भर है कि जीएसटी परिषद उपकर संग्रह की अवधि 2022 के बाद बढ़ाता है या नहीं.
सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदगी में जीएसटी परिषद को कोई प्रस्ताव अगर मतदान के लिए आता है तो उसे पारित करने के लिए केवल 20 राज्यों की जरूरत है.
चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी का अनुमान है.
केंद्र के आकलन के अनुसार, करीब 97,000 करोड़ रुपये की कमी जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की वजह कोरोना महामारी है. इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है.