दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

नई सरकार के लिये 100 दिवसीय एजेंडा: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज का प्रस्ताव

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करने वाले उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने यह कार्य योजना तैयार की है. योजना के मुताबिक, भारत सालाना 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है , बशर्ते वह वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से मिलता-जुलता वित्तीय प्रोत्साहन दे सके.

नई सरकार के लिये 100 दिवसीय एजेंडा: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन पैकेज का प्रस्ताव

By

Published : May 27, 2019, 8:19 PM IST

नई दिल्ली: वाणिज्य मंत्रालय एवं उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उनकी जरूरतों के मुताबिक प्रोत्साहन पैकेज देने का प्रस्ताव किया है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. यह प्रस्ताव नई सरकार के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना का हिस्सा है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करने वाले उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने यह कार्य योजना तैयार की है. योजना के मुताबिक, भारत सालाना 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है , बशर्ते वह वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धी देशों से मिलता-जुलता वित्तीय प्रोत्साहन दे सके.

ये भी पढ़ें:पीएमओ के पास पूर्व प्रधानमंत्रियों के आयकर रिफंड का कोई रिकॉर्ड नहीं

वियतनाम विदेशी निवेशकों को कई रियायतें या प्रोत्साहन देता है. इनमें कॉरपोरेट कर की कम दर और चार साल तक कर से छूट जैसी पेशकश शामिल है. अधिकारी ने कहा, "इस तरह की रियायतों के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण और अन्य क्षेत्र में भारी निवेश आ सकता है. बड़े निवेशकों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुकूल प्रोत्साहन पैकेज दिया जाएगा."

इन श्रम आधारित क्षेत्रों में निवेश और रोजगार सृजन की भारी संभावनाएं हैं. दस-सूत्रीय कार्य योजना में अनुकूल कर व्यवस्था, कानूनी बदलाव के माध्यम से रोजगार सृजन की रणनीति बनाना, प्राकृतिक संसाधन का उचित आवंटन, छोटे कारोबार का समर्थन, उभरते उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना, नई औद्योगिक नीति जारी करने का प्रस्ताव है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने विस्तृत औद्योगिक नीति तैयार करने के लिए देशभर में कई दौर की चर्चा की है. विभाग ने अनुकूल कर व्यवस्था के लिए पेट्रोलियम उत्पादों, प्राकृतिक गैस और बिजली को माल और सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का सुझाव दिया है ताकि करों के व्यापक प्रभाव को दूर करके और इनपुट टैक्स क्रेडिट को लागू करके व्यवसायों की प्रतिस्पर्धा में सुधार लाने में मदद मिल सके.

अधिकारी ने कहा, "गैर-कॉरपोरेट कारोबारी इकाइयों के लिए एक अलग कर व्यवस्था होने का कोई औचित्य नहीं है." योजना में ध्यान दिया है कि श्रम आधारित उद्योग में कानूनी अड़चनों को दूर करने की आवश्यकता है क्योंकि बाध्यकारी श्रम कानून व्यवसायों को विस्तार करने से रोकते हैं और संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की भर्ती को हतोत्साहित करते हैं.

इसमें कारोबारी इकाइयों को राहत देने के उद्देश्य से अंशकालिक/साझा/फ्रीलांस रोजगार को रोजगार की नई श्रेणियों के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव किया गया है. योजना के मुताबिक, प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सरकार की आय बढ़ाने और क्षेत्र के विकास की जरूरतों को संतुलित करके किया जाना चाहिए.

डीपीआईआईटी ने राजस्व साझा प्रारूप का अनुसरण करने का सुझाव दिया है. जिसमें कारोबारी इकाइयों से अग्रिम भुगतान तर्कसंगत है और कारोबार व्यवहार्यता को प्रभावित नहीं करता है.

अधिकारी ने कहा, "कोयला, बक्साइट के भारी भंडारों का उपयोग नहीं हुआ है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास खोज और खनन की अपर्याप्त क्षमता है. निगमों और निजी क्षेत्र की भागीदारी से वाणिज्यिक खनन में मजबूती आएगी."

ABOUT THE AUTHOR

...view details