हैदराबाद : आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है. हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर यूथ अफेर्यस और स्पोर्टस मंत्रालय National Youth Festival का आयोजन करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 12 जनवरी, 2023 को कर्नाटक में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन करेंगे. स्वामी विवेकानंद ने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया. वह देशभक्त थे और उन्हें भारत में दर्शन के योगदान के लिए नायक माना जाता है.
स्वामी विवेकानंद ने भारत में व्यापक रूप से फैली गरीबी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि देश के विकास के लिए गरीबी के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. स्वामी विवेकानंद का कथन है कि सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है, तुम कुछ भी कर सकते हो. इस बात पर विश्वास करो, यह मत मानो कि तुम कमजोर हो, विश्वास न करें कि आप आधे पागल हैं, जैसा कि हम में से अधिकांश आजकल करते हैं. आप बिना किसी मार्गदर्शन के सब कुछ कर सकते हैं. खड़े हो जाओ और अपने भीतर की दिव्य शक्ति को जाहिर करो. कहा जाता है कि धर्म संसद में उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा था. बाद में एक प्रोफेसर ने उन्हें दो मिनट का वक्त दिलवाया. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत की...
मेरे अमेरीकी बहनों और भाइयों!
आपने जिस सम्मान सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया हैं उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा हैं. संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं. धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं. सभी सम्प्रदायों एवं मतों के कोटि कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं.
इसके बाद पूरी धर्म संसद उनके विचार को मग्न होकर सुनती रही. जब भाषण खत्म हुआ, पूरा हॉल तालियों से गड़गड़ा उठा. इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने अपने विचार को बताने के लिए अमेरिका में भी प्रवास किया. रामकृष्ण परमहंस के ब्रह्मलीन होने के बाद मां शारदा ने उन्हें गुरु के विचार को दुनिया तक पहुंचाने का जिम्मा सौंपा. मां शारदा ने उन्हें ठाकुर रामकृष्ण की खड़ाऊं दी और आशीर्वाद देकर भारत भ्रमण करने की सलाह दी. इसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की. तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी. 11 सितंबर 1893 को उन्होंने अमेरिका के धर्म संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया था.
धर्म संसद शिकागो से लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद का संदेश स्वामी विवेकानंद (1863-1902)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था. उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. 1893 में विवेकानंद शिकागो में विश्व धर्म संसद में बोलते हुए वेदांत दर्शन को पश्चिम में पेश किया और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया. इस धर्म संसद में भाषण देने के बाद वह विख्यात हो गए.विवेकानंद 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे, जिन्होंने मातृ भूमि के उत्थान के लिए शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया. उन्होंने एक मानव-निर्मित चरित्र-निर्माण शिक्षा की वकालत की.1897 में विवेकानंद रामकृष्ण मिशन से जुड़े. यह एक संगठन है, जो मूल्य-आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, युवा और आदिवासी कल्याण और राहत और पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है.1902 में विवेकानंद का पश्चिम बंगाल स्थित बेलूर मठ में निधन हो गया. बेलूर रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है.उनके कई योगदानों का सम्मान करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1984 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया. इस दिन देश के युवाओं से विवेकानंद के मूल्यों, सिद्धांतों और विश्वासों के बढ़ने की उम्मीद की जाती है. स्वामी विवेकानंद का प्रेरक व्यक्तित्व उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक और बीसवीं सदी के पहले दशक के दौरान भारत और अमेरिका दोनों में प्रसिद्ध था.1893 में शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारत के एक अज्ञात भिक्षु ने अचानक ख्याति प्राप्त की. संसद में उन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. पूर्वी और पश्चिमी संस्कृति के अपने विशाल ज्ञान के साथ-साथ उनकी गहरी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि, शानदार बातचीत, व्यापक मानवीय सहानुभूति, रंगीन व्यक्तित्व और सुंदर आकृति ने कई अमेरिकियों का आकर्षित किया. जिन लोगों ने विवेकानंद को देखा या सुना, वह आधी सदी से अधिक समय के बाद भी उनकी याद को संजोए हुए हैं.विवेकानंद का देश के युवाओं के साथ एक विशेष संबंध था और इसलिए वह शैक्षिक सुधारों के मुद्दे के साथ निकटता से जुड़े थे.उन्होंने लिखा कि शिक्षा से मेरा मतलब वर्तमान प्रणाली से नहीं है, लेकिन सकारात्मक शिक्षण से है, जो मात्र पुस्तक पढ़ने से ऐसा नहीं आती है, हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जिसके द्वारा चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विस्तार हो और जिससे व्यक्ति स्वयं के पैरों पर खड़ा हो सके.
स्वामी विवेकानंद की कही कुछ खास बातें
- उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते
- जिस समय जिस काम का संकल्प करो, उसे उसी समय पूरा करो. वरना लोगों का आप पर यकीन नहीं रहेगा.
- जिस दिन नजर से सारी मुश्किलें दूर हो जाएं. चौकन्ने हो जाओ. कहीं गलत रास्ते पर तो नहीं आ गए. क्योंकि सही रास्ते पर लाख चुनौतियां हों, लेकिन यही चुनौतियां आपको शक्तिशाली बना सकती हैं.
- मेरे गुरु श्री रामकृष्ण कहते थे कि जब तक मैं जीवित हूं, तब तक मैं सीखता हूं. वो आदमी और समाज पहले से ही मरा है, जिसके पास अब सीखने के लिए कुछ नहीं बचा.
- किसी की बुराई ना करें. मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं तो जरूर बढ़ाएं. अगर ये मुमकिन नहीं तो हाथ जोड़ लें.
- जब तक लाखों लोग भूखे और अज्ञानी हैं तब तक मैं हर उस आदमी को गद्दार मानता हूं जो उनके बल पर शिक्षित हुआ और अब वह उनकी तरफ ध्यान नहीं देता.
- बस वही जीते हैं,जो दूसरों के लिए जीते हैं.
- जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.
- जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी.
- सत्य को हजार तरीके से बताया जा सकता हैं फिर भी सत्य एक ही होगा.
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था कि...
यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये. उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं.स्वामी विवेकानंद वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. मात्र 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया. मृत्यु के पहले शाम के समय बेलूर मठ में उन्होंने 3 घंटे तक योग किया था. स्वामी विवेकानंद में बारे में कहा जाता है कि वह दिन में केवल करीब 2 घंटे ही सोते थे और हर चार घंटे के बाद 15 मिनट के लिए झपकी लेते थे. उन्होंने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी, यह संगठन आज भी समाज की सेवा कर रहा है. वहीं 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना भी की थी, जो आज कोलकाता का सबसे पवित्र स्थलों में शुमार है.