नई दिल्ली: जेट एयरवेज का अपने विमानों को उड़ान भरने से रोकने और उड़ानों को रद्द करने का सिलसिला जारी है. इस संदर्भ में कंपनी के कर्मचारियों ने नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा है. इसके बाद प्रभु ने आपात बैठक बुलाई है.
दरअसल, जेट एयरवेज के विमान रखरखाव इंजीनियरों के संघ (JAMEWA) ने मंगलवार को नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) समेत नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सुरेश प्रभु को पत्र लिखा.
JAMEWA ने पत्र लिखकर सूचित किया है कि उन्हें तीन माह से पगार नहीं मिली है. इसके अलावा पत्र में उड़ानों की सुरक्षा जोखिम में होने का भी जिक्र है. इस मामले में DGCA से हस्तक्षेप की मांग की गई है.
वहीं, पायलटों ने कहा है कि अगर 31 मार्च तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलता है, तो सभी उड़ानें बंद कर दी जाएंगी.
पत्र मिलने के बाद सुरेश प्रभु ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निर्देश देते हुए कहा, 'जेट एयरवेज की उड़ानों की ग्राउंडिंग, अग्रिम बुकिंग, रद्दीकरण, रिफंड और सुरक्षा के मुद्दों पर आपातकालीन बैठक आयोजित की जाए.'
साथ ही उन्होंने नागरिक उड्डयन सचिव को DGCA से जेट के अनुपालन मुद्दों पर एक रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए भी कहा है.
जेट एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन (JAMEWA) ने डीजीसीए को एक पत्र में लिखा है कि हमारे लिए अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है. इसके परिणामस्वरूप विमान इंजीनियरों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और यह उनके काम को भी प्रभावित करता है. और ऐसे में देश और विदेश में उड़ान भरने वाले जेट एयरवेज के विमानों की सुरक्षा जोखिम पर है.
जहां वरिष्ठ प्रबंधन कारोबार में समाधान के तौर-तरीके खोज रहे हैं. हम इंजीनियर पिछले सात माह से समय से वेतन नहीं मिलने से बहुत दबाव में हैं और विशेष तौर पर तीन महीने से तो हमें वेतन मिला ही नहीं है. हम विमानों की जांच करते हैं, उनकी मरम्मत करते हैं और यह प्रमाणित करते हैं कि विमान उड़ने लायक है या नहीं.
दरअसल, नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने सोमवार को अपने चार और विमानों की उड़ान रद्द कर दी. पट्टे पर लिए विमानों का किराया नहीं चुकाए जाने के चलते उसके परिचालन से बाहर हुए कुल विमानों की संख्या 41 हो गयी है.