नई दिल्ली: केंद्र सरकार अक्सर खुले में शौच मुक्ति (ODF) के दावे करती है. हालांकि, देश में इस मिशन की सफलता और सरकार के दावे पर विशेषज्ञों की अलग राय है.
सेंटर फ़ॉर अर्बन एंड रीजनल एक्सीलेंस (CURE) के निदेशक डॉ रेणु खोसला ने कहा, 'भारत को ODF बनाना कागजों पर अच्छा लगता है, लेकिन वास्तव में इसे करने की अधिक आवश्यकता है.'
बता दें कि CURE भारत के शहरी क्षेत्र और स्वच्छ भारत मिशन में काम करता है.
खोसला ने कहा स्वच्छ भारत मिशन (SBM) 2.0 की बहुत आवश्यकता है. यह लोगों के बीच व्यवहार में बदलाव लाएगा.' उन्होंने SBM 2.0 के तीन घटक बताते हुए व्यवहार, वित्त और पर्यावरण का जिक्र किया.
डॉ रेणु खोसला से खास बातचीत. उन्होंने कहा कि अंक पाने की चाहत में शहर खुद को ODF घोषित करते हैं. लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. हमारे द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है ODF का लक्ष्य अभी हासिल नहीं किया गया है.
खोसला ने कहा, 'शौचालय के उपयोग को ठीक से संबोधित करने की आवश्यकता है. सामुदायिक शौचालय को घर के शौचालय में बदल दिया जाना चाहिए.'
सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि पूरे भारत में 23 राज्यों को ODF के रूप में चिह्नित किया गया है. सरकार का लक्ष्य अक्टूबर 2019 तक ODF बनाना है. गौरतलब है कि ODF केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन का एक हिस्सा है.