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Mahashivratri : इस ज्योतिर्लिंग में नवरात्रि की तरह 9 दिन मनाया जाता है महाशिवरात्रि पर्व, जानिए महत्व, पूजा और व्रत-विधि - भगवान शिव

ज्योतिर्लिंगों में इस पर्व से जुड़े विशेष आयोजन भी होते हैं. भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी 2023 को है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से व्रत-जागरण करते हुए पूजा करने वालों के दुख भोलेनाथ दूर करते हैं, दांपत्य जीवन में मधुरता आती है. विवाह में कोई बाधा आ रही है वो भी दूर हो जाती है.

Mahashivratri 2023
महाशिवरात्रि 2023

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Published : Feb 4, 2023, 12:38 AM IST

Updated : Feb 17, 2023, 11:35 AM IST

मनोकामनाओं को पूरा करने वाला पर्व महाशिवरात्रि सभी हिंदू धर्मावलंबियों के द्वारा बहुत ही श्रद्धा, उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा. सनातन धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि पर्व का इंतजार गृहस्थ और सन्यासी दोनों ही वर्ग के लोग बहुत ही बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं. दोनों ही वर्ग के लोग बहुत ही आस्था के साथ मनाते हैं.

इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था इसलिए महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवालयों में शिव-पार्वती विवाहोत्सव का आयोजन भी किया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन सभी शिवालयों विशेषकर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में इस पर्व से जुड़े अन्य विशेष आयोजन भी होते हैं. जैसे कि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में महाशिवरात्रि का पर्व नवरात्रि की ही तरह पूरे 9 दिन मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से व्रत-रात्रि जागरण करते हुए पूजा करने वालों के सभी दुख, रोग, शोक और संकट भगवान भोलेनाथ दूर करते हैं. इस दिन व्रत रखने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है. जिन लड़कियों के विवाह में कोई परेशानी या बाधा आ रही है वो भी दूर हो जाती है. विद्यार्थियों को भी विद्या का वरदान प्राप्त होता है. कोई भी व्यक्ति अपनी किसी कामना को लेकर महाशिवरात्रि पर पूजा अर्चना करते हैं तो उनके सभी काम पूरे होते हैं.

महाशिवरात्रि

ऐसे करें पूजा
महाशिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि के बाद किसी मंदिर-शिवालय जा कर प्रथम-पुज्य भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करें. किसी भी शुभ-मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना अवश्य ही की जाती है. शिव परिवार के सभी सदस्यों पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी, शिवगणों की पूजा करें. पूजा के दौरान शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, दूध या गाय का दूध, दही, शक्कर, शहद, शुद्ध घी, गन्ने के रस आदि से करें. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर भक्त बेलपत्र, भांग, चंदन, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं. और माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री आदि अर्पित कर पूजा कर सकते हैं.अब आप शिव जी की धुप-दीप, फल और फूल आदि से पूजा-आराधना करें. शिव पूजा करते समय आप शिव तांडव स्त्रोत, शिव पुराण, शिवाअष्टक और शिव चालीसा का पाठ करें. व्रत करने वाले को अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.

बाबा महाकाल - फाइल फोटो

ज्योतिषाचार्य सुशील शुक्ला शास्त्री के अनुसार महाशिवरात्रि में चार पहर की पूजा का विशेष महत्त्व होता है. शास्त्री जी ने कहा कि महाशिवरात्रि का पर्व ऐसी लोगो के लिए भी बहुत शुभ ही विशेष और शुभ होता है, जो अच्छे वर-वधु की तलाश में हैं जिनकी शादी में कोई दिक्कत आ रही है. ऐसी कन्याएं विशेष पूजा ( Mahashivratri worship method ) करके भगवान शिव- माता पार्वती को प्रसन्न कर सकती है जिससे उनके विवाह और दांपत्य की सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने बताया कि ऐसे लोग सायं 9:35 बजे से रात्रि 12:20 बजे के बीच भगवान शिव- माता पार्वती जी की सुंदर मूर्ति रखें और विधि-विधान के साथ संकल्प करें कि "दांपत्य सुख में कमी या विवाह में देरी हो रही है, जल्दी विवाह हो, समस्या दूर हो, इस (या अन्य ) कामना के लिए हम आपका पूजन कर रहे हैं"

रुद्राभिषेक (Mahashivratri rudrabhishek) या जलाभिषेक करवाएं
वहीं पंडित विष्णु राजोरिया (Pandit Vishnu Rajoria) के मुताबिक जिनके घरों में नमर्देश्वर या शिवलिंग हैं वो परात में रखकर बेलपत्र (Belpatra to shivling) से पूजन करें. सबसे पहले जल से स्नान कराएं फिर दूध, दही, घी और शहद से स्नान, पंचामृत से स्नान के बाद फिर जल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाकर पूजन करें. इत्र और भांग मिश्रित दूध से भी स्नान कराना चाहिए. धतूरे के फूल, बेलपत्र अर्पण करना चाहिए. आरती और संकीर्तन के साथ जागरण करना चाहिए. यदि किसी कारणवश चार पहर की पूजा या विशेष आयोजन करने में अक्षम हो इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक (Mahashivratri rudrabhishek) भी करवाएं या फिर महाशिवरात्रि के दिन स्वयं बेलपत्र अर्पित करके और सामान्य जलाभिषेक करके ही शिवजी की पूजा (offer belpatra on shivling) करे उनकी भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

चार प्रहर की पूजा से भगवान शिव होते हैं प्रसन्न
सनातन संस्कृति में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चार प्रहर में की जाने वाली पूजा से भगवान शिव अधिक प्रसन्न होते हैं. इस बार महाशिवरात्रि पर शुभ फलदायी सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, मान्यता है कि इस शुभ योग में शुभ-धार्मिक कार्य करने से कई गुना सीधी मिलती है. साल 2023 में महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष का संयोग भी बनने जा रहा है. पंचांगों के अनुसार 18 फरवरी के दिन शनिवार रात 8 बजे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होगी, इसलिए शनि प्रदोष व्रत भी 18 फरवरी को है. इस बार महाशिवरात्रि पर यह संयोग लगभग 30 साल के बाद बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 04 बजकर 12 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. तो आइए जानते हैं चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त...

  1. प्रथम प्रहर की पूजा:18 फरवरी शाम 6 बजकर 45 मिनट से रात्रि 9 बजकर 35 मिनट तक.
  2. द्वितीय प्रहर की पूजा: रात्रि 9 बजकर 35 मिनट से 19 फरवरी मध्यरात्रि 12 बजकर 23 मिनट तक.
  3. तृतीय प्रहर की पूजा का:19 फरवरी की मध्य रात्रि 12 बजकर 23 मिनट से सुबह 3 बजकर 13 मिनट तक.
  4. चौथे प्रहर की पूजा: 19 फरवरी सुबह 3 बजकर 13 मिनट से सुबह 06 बजकर 3 मिनट तक.

Mahashivratri 2023 : अबकी बार बेहद खास है महाशिवरात्रि का पर्व, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ शनि प्रदोष का दुर्लभ संयोग

Last Updated : Feb 17, 2023, 11:35 AM IST

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