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गैंगवार पार्ट 2: जमीन विवाद के चलते 27 साल पहले शुरू हुई थी जंग की नई कहानी

दक्षिण-पश्चिमी जिले के नजफगढ़ स्थित दिचाऊं और मितराऊं गांव की यह कहानी है. दिचाऊं गांव में रहने वाले कृष्ण पहलवान का कराला गांव के रहने वाले जयवीर से झगड़ा था.

गैंगवार पार्ट 2

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Published : Jun 6, 2019, 11:55 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में गैंगवार का माहौल दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है. बढ़ते गैंगवार से अबतक दिल्ली में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. कहीं जमीन या प्रापर्टी के विवाद तो कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं.

ऐसे सभी प्रमुख गैंग के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. क्यों आखिर उनके बीच रंजिश शुरू हुई और इसकी वजह से अब क्या हालात बने हुए हैं.

अमित झा, संवाददाता

गैंगवार की यह कहानी 27 साल पहले शुरू हुई थी. दक्षिण-पश्चिमी जिले के नजफगढ़ स्थित दिचाऊं और मितराऊं गांव की यह कहानी है. दिचाऊं गांव में रहने वाले कृष्ण पहलवान का कराला गांव के रहने वाले जयवीर से झगड़ा था. वहीं मितराऊं गांव के रहने वाले बलराज की जयवीर से गहरी दोस्ती थी. कृष्ण ने अपने दोस्त राजेश नाहरीवाल और जयबीर डोगरीवाल के साथ मिलकर जयवीर कराला की हत्या कर दी थी.

जमीन विवाद से भड़की आग
बलराज के चाचा के पास 15 बीघा जमीन थी जिसमें गांव का रहने वाला बलवान फौजी खेती किया करता था. चाचा की मौत के बाद बलराज ने बलवान से जमीन खाली करने को कहा लेकिन तब तक इस जमीन की कीमत चढ़ चुकी थी. इसलिए वह जमीन को खाली नहीं करना चाहता था. इसमें कृष्ण पहलवान ने उसकी मदद की. साल1997 में बलराज के बड़े भाई अनूप ने बलवान और उसके साले अनिल पर जानलेवा हमला किया. इसमें अनिल की मौत हो गई जबकि बलवान गंभीर रूप से घायल हो गया.

पुलिस ने मुठभेड़ में मारे कई बदमाश
दो गैंग के बीच चल रही इस गैंगवार में साल 1999 में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने छानबीन शुरू की. वहीं कपिल का मामा ऋषि भी अपने भाई अनिल की हत्या का बदला लेने के लिए इस गैंगवार में शामिल हो चुका था. मई 2000 में स्पेशल सेल के एसीपी राजबीर की टीम ने ऋषि को मुठभेड़ में मार गिराया. अगस्त 2000 में स्पेशल सेल ने कपिल गहलोत को भी मुठभेड़ में मार दिया. इसके अलावा भी कई बदमाशों को स्पेशल सेल ने साल 1999 से 2002 के बीच मुठभेड़ में मारा.

चाचा की हत्या का लिया बदला!
20 फरवरी 2002 को दिचाऊं गांव से एक बारात सोनीपत गई थी. वहां पर नाच-गाने के बीच अचानक तीन शव लोगों को पड़े हुए मिले. यह शव सूरज प्रधान (कृष्ण पहलवान के चाचा की हत्या में मुखबिरी का शक) उसके बेटे सुखबीर और नारायण सिंह के थे. इस हमले को कृष्ण पहलवान द्वारा अंजाम दिये जाने का शक था लेकिन इसमें कभी भी उसका नाम नहीं आया. साल 2003 में रोहतक कोर्ट में पेशी के दौरान कृष्ण पहलवान के शूटर महावीर डॉन से अनूप की पुलिस हिरासत में हत्या कर दी. इस हत्याकांड में भी कृष्ण का नाम कभी रिकॉर्ड पर नहीं आया.

दस साल तक शांत रही खूनी जंग
अनूप की हत्या के बाद दस साल तक यह खूनी जंग शांत रही. कृष्ण पहलवान भूमिगत हो चुका था तो वहीं साल 2008 में उसका छोटा भाई भरत सिंह विधायक बन चुका था. साल 2013 के चुनाव में वह हार गया. मार्च 2015 को बहादुरगढ़ रोड स्थित अभिनंदन वाटिका में आधा दर्जन बदमाशों ने घुसकर भरत सिंह की ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्या में नाम आया सूरज प्रधान के पोते और सुखबीर के बेटे हेमंत का. सोनीपत में वर्ष 2002 में हुई अपने पिता और दादा की हत्या का उसने यह बदला लिया. इस हत्या में हेमंत का चाचा उदयवीर काले और एक दशक बाद अनूप गैंग की कमान संभालने वाला मंजीत महाल भी शामिल था. फिलहाल यह सभी आरोपी जेल में बंद हैं.

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