हैदराबाद:कोरोना वैक्सीन को लेकर एक और राहतभरी खबर आई है. फार्मास्युटिकल कंपनी जाइडस कैडिला की कोविड वैक्सीन भी ट्रायल पूरा होने के बाद इमरजेंसी उपयोग (Emergency Use) के लिए तैयार है. इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drug Controller General of India) को आवेदन भी किया गया है. ये वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ प्लास्मिड डीएनए आधारित है.
कंपनी ने बताया कि देश में अब तक 50 से अधिक केंद्रों पर इस कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) किया गया. वैक्सीन की खासियत है कि ये देश की पहली ऐसी कोरोना वैक्सीन है जिसका ट्रायल 12-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों पर किया गया.
जाइडस कैडिला की वैक्सीन कैसे है अन्य से अलग?
वैक्सीन दुनिया की पहली 'प्लास्मिड डीएनए' वैक्सीन है, जो नोवल कोरोना वायरस पर कारगर है. वैक्सीन की डोज लगने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ स्पाइक प्रोटीन यानी एंटीबॉडी (Antibodies) तेजी से उत्पन्न होता है. वैक्सीन सेलुलर (टी लिम्फोसाइट्स इम्युनिटी) और ह्यूमरल (एंटीबॉडी-मध्यस्थता प्रतिरक्षा) के मेल से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है. इसकी एक और खासियत है कि ये एक इंट्राडर्मल वैक्सीन है यानी कि जिसे 'सुई-मुक्त इंजेक्टर' का उपयोग करके लगाया जाता है.
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ये वैक्सीन मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (Messenger Ribonucleic Acid) वैक्सीन की तरह से ही असर करती है और शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड विकास करती है. जबकि अन्य वैक्सीन जैसे कि कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी वायरल वैक्टर से शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड का विकसित करते हैं. इसी तरह नोवावैक्स वैक्सीन स्वयं प्रोटीन की आपूर्ति करता है, जबकि को-वैक्सिन एक निष्क्रिय वायरस को सक्रिय करके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है.