नई दिल्ली : भारत के दशकों से आतंकवाद से पीड़ित होने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए तैयार की जा रही योजना का मार्गदर्शक आतंकवाद के प्रति तनिक भी सहन नहीं करने की नीति होनी चाहिए, भले ही इसको (आतंकवाद) को प्रेरणा देने वाला कोई भी हो. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद निरोधी समिति (यूएनएससी सीटीसी) के शिष्टमंडलों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने की भारत की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है.
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ने इसपर जोर दिया कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए तैयार की जा रही योजना/रूपरेखा का मार्गदर्शक आतंकवाद के प्रति तनिक भी सहन नहीं करने की (जीरो टॉलरेंस) नीति होनी चाहिए. राष्ट्रपति से मिलने आए शिष्टमंडल के सदस्यों का स्वागत करते हुए मुर्मू ने मुंबई आतंकवादी हमला 26/11 के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ अपनी यात्रा शुरू करने की उनके कदम की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, दुनिया का सबसे मुक्त और विविध समाज है और यह दशकों से आतंकवाद से पीड़ित है. बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधित राजदूत रूचिरा काम्बोज ने सीटीसी के अध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति मुर्मू को यूएनएससी सीटीसी के कामकाज और उसकी प्राथमिकताओं के बारे में बताया.