नई दिल्ली : कांग्रेस ने पिछले साल 'उदयपुर संकल्प-पत्र' में इस बात का संकल्प व्यक्त किया था कि पार्टी फोरम में युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. इसे फिफ्टी अंडर फिफ्टी (50 अंडर 50) का फॉर्मूला बताया गया था. इसका मतलब यह था कि पार्टी के सभी फोरम पर आधी सीटें युवाओं को दी जाएगी, यानि वे जो 50 साल से कम उम्र के हैं. रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा की और यहां पर उस फॉर्मूले की धज्जियां उड़ गईं. सीडब्लूसी पार्टी की सर्वोच्च निर्णायक इकाई है.
खड़गे ने जिस तरह से अपनी टीम की घोषणा की, उनमें 39 में से मात्र तीन सदस्य ऐसे हैं, जो 50 साल के कम उम्र के हैं. ये हैं सचिन पायलट, कमलेश्वर पटेल और गौरव गोगोई. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि कांग्रेस ने अपने ही संकल्पों को ताख कर रख दिया. उनके अनुसार ऐसा लगता है कि पार्टी सुधार के बजाए सभी को खुश करने के चक्कर में ही लगी रह गई. 39 में से 36 नेता ऐसे हैं, जो लंबे समय से पार्टी के निर्णायक बॉडी में बने हुए हैं.
उदाहरण के तौर पर आनंद शर्मा को लिया जा सकता है. वह 'जी-23' विद्रोही गुट के सदस्य माने जाते रहे हैं. उन्होंने 2020 में सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. लेकिन उन्हें फिर से सीडब्लूसी में जगह दी गई है.
खड़गे ऑक्टूबर 2022 में पार्टी के अध्यक्ष बने थे. उम्मीद लगाई जा रही थी कि वह जल्द से जल्द अपनी टीम की घोषणा करेंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वह समय लेते रहे और घोषणा लगातार टलती चली गई. और देखिए, इतने दिनों बाद भी उन्होंने कैसी टीम की घोषणा की. वही पुराने चेहरे एक बार फिर से हावी होते हुए दिख रहे हैं. कुछ लोगों का मानना था कि सीडब्लूसी के सदस्यों के नामों की घोषणा में देरी हो रही है, तो हो सकता है पार्टी देश के दूसरे हिस्सों में उभर रहे युवा नेताओं की तलाश कर रही होगी, लेकिन जब लिस्ट सामने आई, तो इस सोच को झटका लगा.